चेलिनी: Difference between revisions
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<div class="HindiText"> <p class="HindiText"> वैशाली के राजा चेटक और उसकी भार्या सुभद्रा की पाँचवीं पुत्री । चेटक राजा द्वारा बनवाये गये पुत्रियों के चित्रपट को देखकर राजा श्रेणिक इसमें तथा इसकी बहिन ज्येष्ठा में अनुरक्त हो गये थे । राजा श्रेणिक ने उनके लिए राजा चेटक से याचना भी की किंतु अधिक उम्र देखकर राजा चेटक ने श्रेणिक का यह प्रस्ताव अस्वीकृत कर दिया । यह समाचार मंत्रियों द्वारा श्रेणिक के पुत्र अभयकुमार से कहे जाने पर अभयकुमार ने राजा श्रेणिक का एक विलासपूर्ण चित्र बनाया । वह वोद्रक व्यापारी के रूप में इन दोनों कन्याओं के निकट पहुंचा । उसने राजा श्रेणिक का स्वनिर्मित चित्र दिखाकर उन्हें श्रेणिक में आकृष्ट कर लिया और सुरंग मार्ग से उन्हें श्रेणिक के पास लाने में सफल हुआ । चेलिनी नहीं चाहती थी कि ज्येष्ठा श्रेणिक की रानी बने । इसलिए उसने ज्येष्ठा को एक छोड़ा हुआ आभूषण लाने के बहाने लौटा दिया और स्वयं अभयकुमार के साथ श्रेणिक के पास आ गयी थी । राजा श्रेणिक भी इसे पाकर बहुत प्रसन्न हुआ और उसने इसे विवाह कर अपनी पटरानी बनाया । ठगी गयी ज्येष्ठा ने विरक्त होकर दीक्षा ले ली । <span class="GRef"> महापुराण 75.3-34, 76.41, </span><span class="GRef"> [[ग्रन्थ:पद्मपुराण_-_पर्व_2#71|पद्मपुराण - 2.71]], </span><span class="GRef"> पांडवपुराण 1. 130 </span> | <div class="HindiText"> <p class="HindiText"> वैशाली के राजा चेटक और उसकी भार्या सुभद्रा की पाँचवीं पुत्री । चेटक राजा द्वारा बनवाये गये पुत्रियों के चित्रपट को देखकर राजा श्रेणिक इसमें तथा इसकी बहिन ज्येष्ठा में अनुरक्त हो गये थे । राजा श्रेणिक ने उनके लिए राजा चेटक से याचना भी की किंतु अधिक उम्र देखकर राजा चेटक ने श्रेणिक का यह प्रस्ताव अस्वीकृत कर दिया । यह समाचार मंत्रियों द्वारा श्रेणिक के पुत्र अभयकुमार से कहे जाने पर अभयकुमार ने राजा श्रेणिक का एक विलासपूर्ण चित्र बनाया । वह वोद्रक व्यापारी के रूप में इन दोनों कन्याओं के निकट पहुंचा । उसने राजा श्रेणिक का स्वनिर्मित चित्र दिखाकर उन्हें श्रेणिक में आकृष्ट कर लिया और सुरंग मार्ग से उन्हें श्रेणिक के पास लाने में सफल हुआ । चेलिनी नहीं चाहती थी कि ज्येष्ठा श्रेणिक की रानी बने । इसलिए उसने ज्येष्ठा को एक छोड़ा हुआ आभूषण लाने के बहाने लौटा दिया और स्वयं अभयकुमार के साथ श्रेणिक के पास आ गयी थी । राजा श्रेणिक भी इसे पाकर बहुत प्रसन्न हुआ और उसने इसे विवाह कर अपनी पटरानी बनाया । ठगी गयी ज्येष्ठा ने विरक्त होकर दीक्षा ले ली । <span class="GRef"> महापुराण 75.3-34, 76.41, </span><span class="GRef"> [[ग्रन्थ:पद्मपुराण_-_पर्व_2#71|पद्मपुराण - 2.71]], </span><span class="GRef"> पांडवपुराण 1. 130 </span></p> | ||
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Latest revision as of 16:45, 30 January 2024
वैशाली के राजा चेटक और उसकी भार्या सुभद्रा की पाँचवीं पुत्री । चेटक राजा द्वारा बनवाये गये पुत्रियों के चित्रपट को देखकर राजा श्रेणिक इसमें तथा इसकी बहिन ज्येष्ठा में अनुरक्त हो गये थे । राजा श्रेणिक ने उनके लिए राजा चेटक से याचना भी की किंतु अधिक उम्र देखकर राजा चेटक ने श्रेणिक का यह प्रस्ताव अस्वीकृत कर दिया । यह समाचार मंत्रियों द्वारा श्रेणिक के पुत्र अभयकुमार से कहे जाने पर अभयकुमार ने राजा श्रेणिक का एक विलासपूर्ण चित्र बनाया । वह वोद्रक व्यापारी के रूप में इन दोनों कन्याओं के निकट पहुंचा । उसने राजा श्रेणिक का स्वनिर्मित चित्र दिखाकर उन्हें श्रेणिक में आकृष्ट कर लिया और सुरंग मार्ग से उन्हें श्रेणिक के पास लाने में सफल हुआ । चेलिनी नहीं चाहती थी कि ज्येष्ठा श्रेणिक की रानी बने । इसलिए उसने ज्येष्ठा को एक छोड़ा हुआ आभूषण लाने के बहाने लौटा दिया और स्वयं अभयकुमार के साथ श्रेणिक के पास आ गयी थी । राजा श्रेणिक भी इसे पाकर बहुत प्रसन्न हुआ और उसने इसे विवाह कर अपनी पटरानी बनाया । ठगी गयी ज्येष्ठा ने विरक्त होकर दीक्षा ले ली । महापुराण 75.3-34, 76.41, पद्मपुराण - 2.71, पांडवपुराण 1. 130