श्रीवल्लभ: Difference between revisions
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<span class="HindiText"> दक्षिण में लाट देश के राजा कृष्णराज प्रथम का पुत्र था, तथा ध्रुव राजा का बड़ा भाई था। कृष्णराज प्रथम का नाम गोविंद प्रथम था, इसी कारण इनका नाम गोविंद द्वितीय भी था। यह वर्धमानपुर की दक्षिण दिशा में राज्य करता था। अमोघवर्ष के पिता जगतुंग ने इसे इंद्रराज की सहायता से युद्ध में परास्त करके इसका राज्य छीन लिया था। इसी के समय में आ. जिनषेण ने अपना हरिवंश पुराण लिखना प्रारंभ किया था। समय - श.694-716 (ई.772-794); <span class="GRef">( हरिवंशपुराण/66/52-53 )</span>; <span class="GRef">( हरिवंशपुराण/ </span> | <span class="HindiText"> दक्षिण में लाट देश के राजा कृष्णराज प्रथम का पुत्र था, तथा ध्रुव राजा का बड़ा भाई था। कृष्णराज प्रथम का नाम गोविंद प्रथम था, इसी कारण इनका नाम गोविंद द्वितीय भी था। यह वर्धमानपुर की दक्षिण दिशा में राज्य करता था। अमोघवर्ष के पिता जगतुंग ने इसे इंद्रराज की सहायता से युद्ध में परास्त करके इसका राज्य छीन लिया था। इसी के समय में आ. जिनषेण ने अपना हरिवंश पुराण लिखना प्रारंभ किया था। समय - श.694-716 (ई.772-794); <span class="GRef">( हरिवंशपुराण/66/52-53 )</span>; <span class="GRef">( हरिवंशपुराण/ प्रस्तावना 5 पं.पन्नालाल</span>)। - देखें [[ इतिहास#3.4 | इतिहास - 3.4]]।</span> | ||
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Latest revision as of 16:34, 3 March 2024
सिद्धांतकोष से
दक्षिण में लाट देश के राजा कृष्णराज प्रथम का पुत्र था, तथा ध्रुव राजा का बड़ा भाई था। कृष्णराज प्रथम का नाम गोविंद प्रथम था, इसी कारण इनका नाम गोविंद द्वितीय भी था। यह वर्धमानपुर की दक्षिण दिशा में राज्य करता था। अमोघवर्ष के पिता जगतुंग ने इसे इंद्रराज की सहायता से युद्ध में परास्त करके इसका राज्य छीन लिया था। इसी के समय में आ. जिनषेण ने अपना हरिवंश पुराण लिखना प्रारंभ किया था। समय - श.694-716 (ई.772-794); ( हरिवंशपुराण/66/52-53 ); ( हरिवंशपुराण/ प्रस्तावना 5 पं.पन्नालाल)। - देखें इतिहास - 3.4।
पुराणकोष से
राजा कृष्णराज का पुत्र । यह शक सम्वत् सात सौ पाँच में राज्य करता था । हरिवंशपुराण - 66.52