पण्डित द्यानतरायजी कृत भजन: Difference between revisions
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आपा प्रभू जाना मैं जाना..... | * आपा प्रभू जाना मैं जाना..... | ||
आतमरूप सुहावना, कोई जानै रे भाई । जाके जानत पाइये त्रिभुवन ठुकराई....... | * आतमरूप सुहावना, कोई जानै रे भाई । जाके जानत पाइये त्रिभुवन ठुकराई....... | ||
आतमज्ञान लखैं सुख होइ... | * आतमज्ञान लखैं सुख होइ... | ||
इस जीवको, यों समझाऊं री!...... | * इस जीवको, यों समझाऊं री!...... | ||
ए मेरे मीत! निचीत कहा सोवै..... | * ए मेरे मीत! निचीत कहा सोवै..... | ||
कर कर आतमहित रे प्रानी.... | * कर कर आतमहित रे प्रानी.... | ||
कर रे! कर रे! कर रे!, तू आतम हित कर रे..... | * कर रे! कर रे! कर रे!, तू आतम हित कर रे..... | ||
कर मन! निज-आतम-चिंतौन....... | * कर मन! निज-आतम-चिंतौन....... | ||
कारज एक ब्रह्महीसेती.... | * कारज एक ब्रह्महीसेती.... | ||
घटमें परमातम ध्याइये हो, परम धरम धनहेत.. | * घटमें परमातम ध्याइये हो, परम धरम धनहेत.. | ||
चेतनजी! तुम जोरत हो धन, सो धन चलत नहीं तुम लार | * चेतनजी! तुम जोरत हो धन, सो धन चलत नहीं तुम लार | ||
चेतन! तुम चेतो भाई, तीन जगत के नाथ.. | * चेतन! तुम चेतो भाई, तीन जगत के नाथ.. | ||
चेतन प्राणी चेतिये हो.. | * चेतन प्राणी चेतिये हो.. | ||
चेतन! मान ले बात हमारी.... | * चेतन! मान ले बात हमारी.... | ||
जगतमें सम्यक उत्तम भाई... | * जगतमें सम्यक उत्तम भाई... | ||
जानत क्यों नहिं रे, हे नर आतमज्ञानी..... | * जानत क्यों नहिं रे, हे नर आतमज्ञानी..... | ||
जानो धन्य सो धन्य सो धीर वीरा.... | * जानो धन्य सो धन्य सो धीर वीरा.... | ||
जो तैं आतमहित नहिं कीना..... | * जो तैं आतमहित नहिं कीना..... | ||
तुमको कैसे सुख ह्वै मीत!.... | * तुमको कैसे सुख ह्वै मीत!.... | ||
तुम चेतन हो... | * तुम चेतन हो... | ||
तुम ज्ञानविभव फूली बसन्त, यह मन मधुकर... | * तुम ज्ञानविभव फूली बसन्त, यह मन मधुकर... | ||
देखे सुखी सम्यक्वान.... | * देखे सुखी सम्यक्वान.... | ||
देखो भाई! आतमराम विराजै.... | * देखो भाई! आतमराम विराजै.... | ||
निरविकलप जोति प्रकाश रही..... | * निरविकलप जोति प्रकाश रही..... | ||
पायो जी सुख आतम लखकै.. | * पायो जी सुख आतम लखकै.. | ||
प्राणी! आतमरूप अनूप है, परतैं भिन्न त्रिकाल... | * प्राणी! आतमरूप अनूप है, परतैं भिन्न त्रिकाल... | ||
प्राणी! सो%हं ६ पण्डित द्यानतरायजी कृत भजन | * प्राणी! सो%हं ६ पण्डित द्यानतरायजी कृत भजन | ||
सो%हं ध्याय हो.... | * सो%हं ध्याय हो.... | ||
बीतत ये दिन नीके, हमको...... | * बीतत ये दिन नीके, हमको...... | ||
भजो आतमदेव, रे जिय! भजो आतमदेव, लहो... | * भजो आतमदेव, रे जिय! भजो आतमदेव, लहो... | ||
भवि कीजे हो आतमसँभार, राग दोष परिनाम डार... | * भवि कीजे हो आतमसँभार, राग दोष परिनाम डार... | ||
भ्रम्योजी भ्रम्यो, संसार महावन, सुख ..... | * भ्रम्योजी भ्रम्यो, संसार महावन, सुख ..... | ||
भाई! अब मैं ऐसा जाना.... | * भाई! अब मैं ऐसा जाना.... | ||
भाई कौन कहै घर मेरा..... | * भाई कौन कहै घर मेरा..... | ||
भाई! ब्रह्मज्ञान नहिं जाना रे.... | * भाई! ब्रह्मज्ञान नहिं जाना रे.... | ||
भाई! ज्ञान बिना दुख पाया रे | * भाई! ज्ञान बिना दुख पाया रे | ||
भाई! ज्ञानी सोई कहिये..... | * भाई! ज्ञानी सोई कहिये..... | ||
भैया! सो आतम जानो रे!...... | * भैया! सो आतम जानो रे!...... | ||
मगन रहु रे! शुद्धातम में मगन रहु रे.. | * मगन रहु रे! शुद्धातम में मगन रहु रे.. | ||
मन! मेरे राग भाव निवार.. | * मन! मेरे राग भाव निवार.. | ||
मैं निज आतम कब ध्याऊँगा..... | * मैं निज आतम कब ध्याऊँगा..... | ||
रे भाई! मोह महा दुखदाता... | * रे भाई! मोह महा दुखदाता... | ||
लाग रह्यो मन चेतनसों जी.... | * लाग रह्यो मन चेतनसों जी.... | ||
लागा आतमसों नेहरा.... | * लागा आतमसों नेहरा.... | ||
वे परमादी! तैं आतमराम न जान्यो....... | * वे परमादी! तैं आतमराम न जान्यो....... | ||
सब जगको प्यारा, चेतनरूप निहारा.... | * सब जगको प्यारा, चेतनरूप निहारा.... | ||
सुन चेतन इक बात.... | * सुन चेतन इक बात.... | ||
सुनो! जैनी लोगो, ज्ञानको पंथ कठिन है.... | * सुनो! जैनी लोगो, ज्ञानको पंथ कठिन है.... | ||
सो ज्ञाता मेरे मन माना, जिन निज-निज पर पर जाना श्रीजिनधर्म सदा जयवन्त.... | * सो ज्ञाता मेरे मन माना, जिन निज-निज पर पर जाना श्रीजिनधर्म सदा जयवन्त.... | ||
शुद्ध स्वरूप को वंदना हमारी.. | * शुद्ध स्वरूप को वंदना हमारी.. | ||
हम लागे आतमरामसों..... | * हम लागे आतमरामसों..... | ||
हम तो कबहुँ न निज घर आये... | * हम तो कबहुँ न निज घर आये... | ||
हो भैया मोरे! कहु कैसे सुख होय.. | * हो भैया मोरे! कहु कैसे सुख होय.. | ||
वे कोई निपट अनारी, देख्या आतमराम.... | * वे कोई निपट अनारी, देख्या आतमराम.... | ||
ज्ञाता सोई सच्चा वे, जिन आतम अच्चा... | * ज्ञाता सोई सच्चा वे, जिन आतम अच्चा... | ||
ज्ञान सरोवर सोई हो भविजन.... | * ज्ञान सरोवर सोई हो भविजन.... | ||
ज्ञान ज्ञेयमाहिं नाहिं, ज्ञेय हू न ज्ञानमाहिं... | * ज्ञान ज्ञेयमाहिं नाहिं, ज्ञेय हू न ज्ञानमाहिं... | ||
ज्ञानी ऐसो ज्ञान विचारै.. | * ज्ञानी ऐसो ज्ञान विचारै.. | ||
ज्ञानी ऐसो ज्ञान विचारै.... | * ज्ञानी ऐसो ज्ञान विचारै.... | ||
अरहंत सुमर मन बावरे...... | * अरहंत सुमर मन बावरे...... | ||
ए मान ये मन कीजिये भज प्रभु तज सब बात हो.... | * ए मान ये मन कीजिये भज प्रभु तज सब बात हो.... | ||
चौबीसौं को वंदना हमारी... | * चौबीसौं को वंदना हमारी... | ||
जिनके भजन में मगन रहु रे!.... | * जिनके भजन में मगन रहु रे!.... | ||
जिन जपि जिन जपि, जिन जपि जीयरा..... | * जिन जपि जिन जपि, जिन जपि जीयरा..... | ||
जिन नाम सुमर मन! बावरे! कहा इत उत भटकै....... | * जिन नाम सुमर मन! बावरे! कहा इत उत भटकै....... | ||
जिनरायके पाय सदा शरनं.... | * जिनरायके पाय सदा शरनं.... | ||
जिनवरमूरत तेरी, शोभा कहिय न जाय.... | * जिनवरमूरत तेरी, शोभा कहिय न जाय.... | ||
तू ही मेरा साहिब सच्चा सांई.... | * तू ही मेरा साहिब सच्चा सांई.... | ||
तेरी भगति बिना धिक है जीवना.... | * तेरी भगति बिना धिक है जीवना.... | ||
मानुष जनम सफल भयो आज..... | * मानुष जनम सफल भयो आज..... | ||
मैं नूं भावैजी प्रभु चेतना, मैं नूं भावैजी.. | * मैं नूं भावैजी प्रभु चेतना, मैं नूं भावैजी.. | ||
प्रभु! तुम नैनन-गोचर नाहीं... | * प्रभु! तुम नैनन-गोचर नाहीं... | ||
प्रभु तुम सुमरन ही में तारे... | * प्रभु तुम सुमरन ही में तारे... | ||
प्रभु तेरी महिमा किहि मुख गावैं... | * प्रभु तेरी महिमा किहि मुख गावैं... | ||
रे मन! भज भज दीनदयाल.... | * रे मन! भज भज दीनदयाल.... | ||
वीतराग नाम सुमर, वीतराग नाम..... | * वीतराग नाम सुमर, वीतराग नाम..... | ||
हम आये हैं जिनभूप! तेरे दरसन को..... | * हम आये हैं जिनभूप! तेरे दरसन को..... | ||
अब समझ कही.... | * अब समझ कही.... | ||
आरसी देखत मन आर-सी लागी....... | * आरसी देखत मन आर-सी लागी....... | ||
काहेको सोचत अति भारी, रे मन!.... | * काहेको सोचत अति भारी, रे मन!.... | ||
कौन काम अब मैंने कीनों, लीनों सुर अवतार हो... | * कौन काम अब मैंने कीनों, लीनों सुर अवतार हो... | ||
गलतानमता कब आवैगा .... | * गलतानमता कब आवैगा .... | ||
चाहत है सुख पै न गाहत है धर्म जीव.... | * चाहत है सुख पै न गाहत है धर्म जीव.... | ||
जीव! तैं मूढ़पना कित पायो..... | * जीव! तैं मूढ़पना कित पायो..... | ||
झूठा सपना यह संसार.... | * झूठा सपना यह संसार.... | ||
त्यागो त्यागो मिथ्यातम, दूजो नहीं जाकी सम... | * त्यागो त्यागो मिथ्यातम, दूजो नहीं जाकी सम... | ||
तू तो समझ समझ रे!..... | * तू तो समझ समझ रे!..... | ||
तेरो संजम बिन रे, नरभव निरफल जाय.... | * तेरो संजम बिन रे, नरभव निरफल जाय.... | ||
दियैं दान महा सुख पावै.... | * दियैं दान महा सुख पावै.... | ||
दुरगति गमन निवारिये, घर आव सयाने नाह हो.... | * दुरगति गमन निवारिये, घर आव सयाने नाह हो.... | ||
धिक! धिक! जीवन समकित बिना... | * धिक! धिक! जीवन समकित बिना... | ||
नहिं ऐसो जनम बारंबार.... | * नहिं ऐसो जनम बारंबार.... | ||
निज जतन करो गुन-रतननिको, पंचेन्द्रीविषय... | * निज जतन करो गुन-रतननिको, पंचेन्द्रीविषय... | ||
परमाथ पंथ सदा पकरौ... | * परमाथ पंथ सदा पकरौ... | ||
प्राणी लाल! छांडो मन चपलाई....... | * प्राणी लाल! छांडो मन चपलाई....... | ||
प्राणी लाल! धरम अगाऊ धारौ.... | * प्राणी लाल! धरम अगाऊ धारौ.... | ||
भाई! कहा देख गरवाना रे.. | * भाई! कहा देख गरवाना रे.. | ||
भाई काया तेरी दुखकी ढेरी.... | * भाई काया तेरी दुखकी ढेरी.... | ||
भाई! ज्ञानका राह दुहेला रे.... | * भाई! ज्ञानका राह दुहेला रे.... | ||
भाई! ज्ञानका राह सुहेला रे....... | * भाई! ज्ञानका राह सुहेला रे....... | ||
मानों मानों जी चेतन यह..... | * मानों मानों जी चेतन यह..... | ||
मिथ्या यह संसार है, झूठा यह संसार है रे..... | * मिथ्या यह संसार है, झूठा यह संसार है रे..... | ||
मेरी मेरी करत जनम सब बीता... | * मेरी मेरी करत जनम सब बीता... | ||
मेरे मन कब ह्वै है बैराग.... | * मेरे मन कब ह्वै है बैराग.... | ||
मोहि कब ऐसा दिन आय है ... | * मोहि कब ऐसा दिन आय है ... | ||
ये दिन आछे लहे जी लहे जी.. | * ये दिन आछे लहे जी लहे जी.. | ||
रे जिय! जनम लाहो लेह.... | * रे जिय! जनम लाहो लेह.... | ||
विपति में धर धीर, रे नर! विपति में धर धीर....... | * विपति में धर धीर, रे नर! विपति में धर धीर....... | ||
समझत क्यों नहिं वानी, अज्ञानी जन.......... | * समझत क्यों नहिं वानी, अज्ञानी जन.......... | ||
संसार में साता नाहीं वे............ | * संसार में साता नाहीं वे............ | ||
सोग न कीजे बावरे! मरें पीतम लोग.... | * सोग न कीजे बावरे! मरें पीतम लोग.... | ||
हम न किसी के कोई | * हम न किसी के कोई |
Latest revision as of 03:12, 21 January 2008
- आतम अनुभव कीजै हो...
- आतम अनुभवसार हो, अब जिय सार हो प्राणी....
- आतम काज सँवारिये, तजि विषय किलोलैं
- आतम जान रे जान रे जान...
- आतम जाना, मैं जाना ज्ञानसरूप...
- आतम जानो रे भाई.....
- आतम महबूब यार, आतम महबूब...
- आतमरूप अनूपम है, घटमाहिं विराजै हो.........
- आपा प्रभू जाना मैं जाना.....
- आतमरूप सुहावना, कोई जानै रे भाई । जाके जानत पाइये त्रिभुवन ठुकराई.......
- आतमज्ञान लखैं सुख होइ...
- इस जीवको, यों समझाऊं री!......
- ए मेरे मीत! निचीत कहा सोवै.....
- कर कर आतमहित रे प्रानी....
- कर रे! कर रे! कर रे!, तू आतम हित कर रे.....
- कर मन! निज-आतम-चिंतौन.......
- कारज एक ब्रह्महीसेती....
- घटमें परमातम ध्याइये हो, परम धरम धनहेत..
- चेतनजी! तुम जोरत हो धन, सो धन चलत नहीं तुम लार
- चेतन! तुम चेतो भाई, तीन जगत के नाथ..
- चेतन प्राणी चेतिये हो..
- चेतन! मान ले बात हमारी....
- जगतमें सम्यक उत्तम भाई...
- जानत क्यों नहिं रे, हे नर आतमज्ञानी.....
- जानो धन्य सो धन्य सो धीर वीरा....
- जो तैं आतमहित नहिं कीना.....
- तुमको कैसे सुख ह्वै मीत!....
- तुम चेतन हो...
- तुम ज्ञानविभव फूली बसन्त, यह मन मधुकर...
- देखे सुखी सम्यक्वान....
- देखो भाई! आतमराम विराजै....
- निरविकलप जोति प्रकाश रही.....
- पायो जी सुख आतम लखकै..
- प्राणी! आतमरूप अनूप है, परतैं भिन्न त्रिकाल...
- प्राणी! सो%हं ६ पण्डित द्यानतरायजी कृत भजन
- सो%हं ध्याय हो....
- बीतत ये दिन नीके, हमको......
- भजो आतमदेव, रे जिय! भजो आतमदेव, लहो...
- भवि कीजे हो आतमसँभार, राग दोष परिनाम डार...
- भ्रम्योजी भ्रम्यो, संसार महावन, सुख .....
- भाई! अब मैं ऐसा जाना....
- भाई कौन कहै घर मेरा.....
- भाई! ब्रह्मज्ञान नहिं जाना रे....
- भाई! ज्ञान बिना दुख पाया रे
- भाई! ज्ञानी सोई कहिये.....
- भैया! सो आतम जानो रे!......
- मगन रहु रे! शुद्धातम में मगन रहु रे..
- मन! मेरे राग भाव निवार..
- मैं निज आतम कब ध्याऊँगा.....
- रे भाई! मोह महा दुखदाता...
- लाग रह्यो मन चेतनसों जी....
- लागा आतमसों नेहरा....
- वे परमादी! तैं आतमराम न जान्यो.......
- सब जगको प्यारा, चेतनरूप निहारा....
- सुन चेतन इक बात....
- सुनो! जैनी लोगो, ज्ञानको पंथ कठिन है....
- सो ज्ञाता मेरे मन माना, जिन निज-निज पर पर जाना श्रीजिनधर्म सदा जयवन्त....
- शुद्ध स्वरूप को वंदना हमारी..
- हम लागे आतमरामसों.....
- हम तो कबहुँ न निज घर आये...
- हो भैया मोरे! कहु कैसे सुख होय..
- वे कोई निपट अनारी, देख्या आतमराम....
- ज्ञाता सोई सच्चा वे, जिन आतम अच्चा...
- ज्ञान सरोवर सोई हो भविजन....
- ज्ञान ज्ञेयमाहिं नाहिं, ज्ञेय हू न ज्ञानमाहिं...
- ज्ञानी ऐसो ज्ञान विचारै..
- ज्ञानी ऐसो ज्ञान विचारै....
- अरहंत सुमर मन बावरे......
- ए मान ये मन कीजिये भज प्रभु तज सब बात हो....
- चौबीसौं को वंदना हमारी...
- जिनके भजन में मगन रहु रे!....
- जिन जपि जिन जपि, जिन जपि जीयरा.....
- जिन नाम सुमर मन! बावरे! कहा इत उत भटकै.......
- जिनरायके पाय सदा शरनं....
- जिनवरमूरत तेरी, शोभा कहिय न जाय....
- तू ही मेरा साहिब सच्चा सांई....
- तेरी भगति बिना धिक है जीवना....
- मानुष जनम सफल भयो आज.....
- मैं नूं भावैजी प्रभु चेतना, मैं नूं भावैजी..
- प्रभु! तुम नैनन-गोचर नाहीं...
- प्रभु तुम सुमरन ही में तारे...
- प्रभु तेरी महिमा किहि मुख गावैं...
- रे मन! भज भज दीनदयाल....
- वीतराग नाम सुमर, वीतराग नाम.....
- हम आये हैं जिनभूप! तेरे दरसन को.....
- अब समझ कही....
- आरसी देखत मन आर-सी लागी.......
- काहेको सोचत अति भारी, रे मन!....
- कौन काम अब मैंने कीनों, लीनों सुर अवतार हो...
- गलतानमता कब आवैगा ....
- चाहत है सुख पै न गाहत है धर्म जीव....
- जीव! तैं मूढ़पना कित पायो.....
- झूठा सपना यह संसार....
- त्यागो त्यागो मिथ्यातम, दूजो नहीं जाकी सम...
- तू तो समझ समझ रे!.....
- तेरो संजम बिन रे, नरभव निरफल जाय....
- दियैं दान महा सुख पावै....
- दुरगति गमन निवारिये, घर आव सयाने नाह हो....
- धिक! धिक! जीवन समकित बिना...
- नहिं ऐसो जनम बारंबार....
- निज जतन करो गुन-रतननिको, पंचेन्द्रीविषय...
- परमाथ पंथ सदा पकरौ...
- प्राणी लाल! छांडो मन चपलाई.......
- प्राणी लाल! धरम अगाऊ धारौ....
- भाई! कहा देख गरवाना रे..
- भाई काया तेरी दुखकी ढेरी....
- भाई! ज्ञानका राह दुहेला रे....
- भाई! ज्ञानका राह सुहेला रे.......
- मानों मानों जी चेतन यह.....
- मिथ्या यह संसार है, झूठा यह संसार है रे.....
- मेरी मेरी करत जनम सब बीता...
- मेरे मन कब ह्वै है बैराग....
- मोहि कब ऐसा दिन आय है ...
- ये दिन आछे लहे जी लहे जी..
- रे जिय! जनम लाहो लेह....
- विपति में धर धीर, रे नर! विपति में धर धीर.......
- समझत क्यों नहिं वानी, अज्ञानी जन..........
- संसार में साता नाहीं वे............
- सोग न कीजे बावरे! मरें पीतम लोग....
- हम न किसी के कोई