रूपी: Difference between revisions
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< | <span class="GRef"> सर्वार्थसिद्धि/5/5/271/7 </span><span class="SanskritText"> रूपं मूर्तिरित्यर्थः । का मूर्तिः । रूपादिसंस्थानपरिणामो मूर्तिः । रूपमेषामस्तीति रूपिणः । मूर्तिमंत इत्यर्थः । अथवा रूपमिति गुणविशेषवचनशब्दः । तदेषामस्तीति रूपिणः । रसाद्यग्रहणमिति चेन्न; तदविनाभावात्तदंतर्भावः । </span><span class="HindiText">= मूर्ति किसे कहते हैं ? रूपादिक के आकार से परिणमन होने को मूर्ति कहते हैं । जिनके रूप अर्थात् आकार पाया जाता है, वे '''रूपी''' कहलाते हैं । इसका अर्थ मूर्तिमान् है । (रूप, रस, गंध व स्पर्श के द्वारा तथा गोल, तिकोन, चौकोर आदि संस्थानों के द्वारा होने वाला परिणाम मूर्ति कहलाता है−<span class="GRef"> राजवार्तिक/5/5/2/444/21 </span> </span> | ||
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सर्वार्थसिद्धि/5/5/271/7 रूपं मूर्तिरित्यर्थः । का मूर्तिः । रूपादिसंस्थानपरिणामो मूर्तिः । रूपमेषामस्तीति रूपिणः । मूर्तिमंत इत्यर्थः । अथवा रूपमिति गुणविशेषवचनशब्दः । तदेषामस्तीति रूपिणः । रसाद्यग्रहणमिति चेन्न; तदविनाभावात्तदंतर्भावः । = मूर्ति किसे कहते हैं ? रूपादिक के आकार से परिणमन होने को मूर्ति कहते हैं । जिनके रूप अर्थात् आकार पाया जाता है, वे रूपी कहलाते हैं । इसका अर्थ मूर्तिमान् है । (रूप, रस, गंध व स्पर्श के द्वारा तथा गोल, तिकोन, चौकोर आदि संस्थानों के द्वारा होने वाला परिणाम मूर्ति कहलाता है− राजवार्तिक/5/5/2/444/21
अधिक जानकारी के लिये देखें मूर्त ।