अन्योन्याभाव: Difference between revisions
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<span class="GRef">जैन सिद्धांत प्रवेशिका/184</span><p class="HindiText"> पुद्गल की एक वर्तमान पर्याय में दूसरे पुद्गल की वर्तमान पर्याय के अभाव को '''अन्योन्याभाव''' कहते हैं।</p><br> | |||
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Latest revision as of 17:14, 23 December 2022
जैन सिद्धांत प्रवेशिका/181
अभाव चार हैं-प्रागभाव, प्रध्वंसाभाव, अन्योन्याभाव व अत्यंताभाव।
जैन सिद्धांत प्रवेशिका/184
पुद्गल की एक वर्तमान पर्याय में दूसरे पुद्गल की वर्तमान पर्याय के अभाव को अन्योन्याभाव कहते हैं।
देखें अभाव ।