रत्नकीर्ति: Difference between revisions
From जैनकोष
No edit summary |
No edit summary |
||
(3 intermediate revisions by one other user not shown) | |||
Line 1: | Line 1: | ||
| <ol> | ||
<li> क्षेमकीर्ति (ई. | <li> क्षेमकीर्ति (ई. 998) के शिष्य । कृति<strong>−</strong>आराधनासार की संस्कृत टीका । समय<strong>−</strong>क्षेमकीर्ति जी के अनुसार ई. 1000-1035 । (आ. सा./प्र. 2/पं. गजाधर लाल) ।</li> | ||
<li> | <li> मेघचंद्र के शिष्य, ललितकीर्ति के विद्या शिष्य । कृति<strong>−</strong>भद्रबाहु चारित्र । समय<strong>−</strong>वि. 1296, ई. 1239 । (भद्रबाहु चारित्र । प्र. 7 । डॉ. कामता प्रसाद) । </li> | ||
<li> काष्ठा संघी रामसेन के शिष्य, लक्ष्मणसेन के गुरु । समय<strong>−</strong>वि. | <li> काष्ठा संघी रामसेन के शिष्य, लक्ष्मणसेन के गुरु । समय<strong>−</strong>वि. 1456, ई. 1399 । (देखें [[ इतिहास#7.9 | इतिहास - 7.9]]), (प्रद्युम्नचारित्र की अंतिम प्रशस्ति); (प्रद्युम्न चारित्र । प्र./प्रेमी जी) । </li> | ||
<li> भट्टारक | <li> भट्टारक अनंतकीर्ति के शिष्य, ललितकीर्ति के गुरु । कृति<strong>−</strong>भद्रबाहु चारित्र, जिसमें ढूंढिया मत की उत्पत्ति का काल वि. 1527 (ई. 1470) बताया गया है । श्लोक 157-159 । अतः इनका समय<strong>−</strong>लगभग वि. 1572 (ई. 1515) (ती./3/435) । </li> | ||
<li> उपदेश | <li> उपदेश सिद्धांत रत्नमाला के रचयिता एक मराठी कवि । समय<strong>−</strong>ग्रंथ का रचना काल शक 1734, ई. 1812 । (ती./4/322)। </li> | ||
</ol | </ol> | ||
<noinclude> | |||
[[रत्नकरंड श्रावकाचार | | [[ रत्नकरंड श्रावकाचार | पूर्व पृष्ठ ]] | ||
[[Category:र]] | [[ रत्नकुंडल | अगला पृष्ठ ]] | ||
</noinclude> | |||
[[Category: र]] | |||
[[Category: इतिहास]] |
Latest revision as of 19:02, 13 October 2022
- क्षेमकीर्ति (ई. 998) के शिष्य । कृति−आराधनासार की संस्कृत टीका । समय−क्षेमकीर्ति जी के अनुसार ई. 1000-1035 । (आ. सा./प्र. 2/पं. गजाधर लाल) ।
- मेघचंद्र के शिष्य, ललितकीर्ति के विद्या शिष्य । कृति−भद्रबाहु चारित्र । समय−वि. 1296, ई. 1239 । (भद्रबाहु चारित्र । प्र. 7 । डॉ. कामता प्रसाद) ।
- काष्ठा संघी रामसेन के शिष्य, लक्ष्मणसेन के गुरु । समय−वि. 1456, ई. 1399 । (देखें इतिहास - 7.9), (प्रद्युम्नचारित्र की अंतिम प्रशस्ति); (प्रद्युम्न चारित्र । प्र./प्रेमी जी) ।
- भट्टारक अनंतकीर्ति के शिष्य, ललितकीर्ति के गुरु । कृति−भद्रबाहु चारित्र, जिसमें ढूंढिया मत की उत्पत्ति का काल वि. 1527 (ई. 1470) बताया गया है । श्लोक 157-159 । अतः इनका समय−लगभग वि. 1572 (ई. 1515) (ती./3/435) ।
- उपदेश सिद्धांत रत्नमाला के रचयिता एक मराठी कवि । समय−ग्रंथ का रचना काल शक 1734, ई. 1812 । (ती./4/322)।