पार्श्वाभ्युदय: Difference between revisions
From जैनकोष
No edit summary |
Bhumi Doshi (talk | contribs) No edit summary |
||
(5 intermediate revisions by 2 users not shown) | |||
Line 1: | Line 1: | ||
आ. जिनसेन (ई. 818-878) द्वारा रचित संस्कृत काव्य ग्रंथ है। पार्श्वनाथ भगवान का वर्णन करनेवाला यह काव्य 364 मंदाक्रांता वृत्तों में पूर्ण हुआ है। काव्य रचना की दृष्टि से कवि कालिदास के मेघदूत से भी बढ़कर है। (तीर्थंकर महावीर और उनकी आचार्य परंपरा /2/340)। | |||
[[पार्श्वस्थ | | <noinclude> | ||
[[ पार्श्वस्थ | पूर्व पृष्ठ ]] | |||
[[Category:प]] | [[ पालंब | अगला पृष्ठ ]] | ||
</noinclude> | |||
[[Category: प]] | |||
[[Category: इतिहास]] |
Latest revision as of 18:02, 16 November 2022
आ. जिनसेन (ई. 818-878) द्वारा रचित संस्कृत काव्य ग्रंथ है। पार्श्वनाथ भगवान का वर्णन करनेवाला यह काव्य 364 मंदाक्रांता वृत्तों में पूर्ण हुआ है। काव्य रचना की दृष्टि से कवि कालिदास के मेघदूत से भी बढ़कर है। (तीर्थंकर महावीर और उनकी आचार्य परंपरा /2/340)।