महासर्वतोभद्र: Difference between revisions
From जैनकोष
No edit summary |
(Imported from text file) |
||
(6 intermediate revisions by 4 users not shown) | |||
Line 1: | Line 1: | ||
| | ||
== सिद्धांतकोष से == | |||
==== एक व्रत–देखें [[ सर्वतोभद्र ]]। ==== | |||
<br> | |||
<noinclude> | |||
[[ महासर | पूर्व पृष्ठ ]] | |||
[[ | [[ महासुव्रत | अगला पृष्ठ ]] | ||
[[Category:म]] | </noinclude> | ||
[[Category: म]] | |||
[[Category: चरणानुयोग]] | |||
== पुराणकोष से == | |||
<div class="HindiText"> <p class="HindiText"> एक व्रत । इसमें सात भाग वाला एक चौकोर प्रस्तार बनाकर एक से सात तक के अंक इस रीति से लिखे जाते हैं कि सब ओर से संख्या का जोड़ अट्ठाईस आ जाता है । इस प्रकार एक भाग के अट्ठाईस उपवास और सात पारणाओं के क्रम से सातों भागों के कुल एक सौ छियानवें उपवास और उनचास पारणाएँ की जाती है । इस महाव्रत में दो सौ पैंतालीस दिन लगते हैं । <span class="GRef"> [[ग्रन्थ:हरिवंश पुराण_-_सर्ग_34#57|हरिवंशपुराण - 34.57-58]] </span></p> | |||
</div> | |||
<noinclude> | |||
[[ महासर | पूर्व पृष्ठ ]] | |||
[[ महासुव्रत | अगला पृष्ठ ]] | |||
</noinclude> | |||
[[Category: पुराण-कोष]] | |||
[[Category: म]] | |||
[[Category: चरणानुयोग]] |
Latest revision as of 15:20, 27 November 2023
सिद्धांतकोष से
एक व्रत–देखें सर्वतोभद्र ।
पुराणकोष से
एक व्रत । इसमें सात भाग वाला एक चौकोर प्रस्तार बनाकर एक से सात तक के अंक इस रीति से लिखे जाते हैं कि सब ओर से संख्या का जोड़ अट्ठाईस आ जाता है । इस प्रकार एक भाग के अट्ठाईस उपवास और सात पारणाओं के क्रम से सातों भागों के कुल एक सौ छियानवें उपवास और उनचास पारणाएँ की जाती है । इस महाव्रत में दो सौ पैंतालीस दिन लगते हैं । हरिवंशपुराण - 34.57-58