लिपि संख्यात क्रिया: Difference between revisions
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<span class="GRef"> महापुराण/38/70-310 </span> <div class="SanskritText">आधानं नाम गर्भादौ संस्कारो मंत्रपूर्वक:। पत्नीमृतुमतीं स्नातां पुरस्कृत्यार्हदिज्यया।70। ...अत्रापि पूर्ववद्दानं जैनी पूजा च पूर्ववत् । इष्टबंधसमाह्वानं समाशादिश्च लक्ष्यताम् ।97। ..क्रियाग्रनिर्वृतिर्नाम परानिर्वाणमायुष:। स्वभावजनितामूर्ध्वव्रज्यामास्कनदतो मता।309। | |||
इति निर्वाणपर्यंता: क्रिया गर्भादिका: सदा। भव्यात्मभिरनुष्ठेया: त्रिपंचाशत्समुच्चायात् ।310।</div> | |||
<div class="HindiText"> <b>लिपि संख्यात क्रिया</b>- पाँचवें वर्ष अध्ययन के लिए पूजा विधिपूर्वक किसी योग्य गृहस्थी गुरु के पास छोड़ना।102-103। | |||
अधिक जानकारी के लिए देखें [[ संस्कार#2.2 | संस्कार - 2.2]]। | |||
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Latest revision as of 15:23, 15 November 2022
महापुराण/38/70-310
आधानं नाम गर्भादौ संस्कारो मंत्रपूर्वक:। पत्नीमृतुमतीं स्नातां पुरस्कृत्यार्हदिज्यया।70। ...अत्रापि पूर्ववद्दानं जैनी पूजा च पूर्ववत् । इष्टबंधसमाह्वानं समाशादिश्च लक्ष्यताम् ।97। ..क्रियाग्रनिर्वृतिर्नाम परानिर्वाणमायुष:। स्वभावजनितामूर्ध्वव्रज्यामास्कनदतो मता।309।
इति निर्वाणपर्यंता: क्रिया गर्भादिका: सदा। भव्यात्मभिरनुष्ठेया: त्रिपंचाशत्समुच्चायात् ।310।
लिपि संख्यात क्रिया- पाँचवें वर्ष अध्ययन के लिए पूजा विधिपूर्वक किसी योग्य गृहस्थी गुरु के पास छोड़ना।102-103।
अधिक जानकारी के लिए देखें संस्कार - 2.2।