शंकित: Difference between revisions
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<ul><li><span class="GRef">मूलाचार / आचारवृत्ति / गाथा 812</span><span class="SanskritText"> उद्देसिय कीदयंड अण्णादं संकि्दं अभिहडं च। सत्तप्पडिकुट्ठाणि य पडिसिद्धं तं विवज्जेंति ॥812॥</span> | |||
<span class="HindiText">= औद्देशिक, क्रीततर, अज्ञात, शंकित, अन्य स्थान से आया सूत्र के विरुद्ध और सूत्र से निषिद्ध - ऐसे आहर को वे मुनि त्याग देते हैं ॥812॥</span></li> | |||
<li class="HindiText">अधिक जानकारी के लिए देखें [[ आहार#4.1.3 | आहार - 4.1.3-4]]।</span></li></ul> | |||
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Latest revision as of 15:25, 27 November 2023
- आहार के 46 दोषों में से एक दोष।
- मूलाचार / आचारवृत्ति / गाथा 812 उद्देसिय कीदयंड अण्णादं संकि्दं अभिहडं च। सत्तप्पडिकुट्ठाणि य पडिसिद्धं तं विवज्जेंति ॥812॥ = औद्देशिक, क्रीततर, अज्ञात, शंकित, अन्य स्थान से आया सूत्र के विरुद्ध और सूत्र से निषिद्ध - ऐसे आहर को वे मुनि त्याग देते हैं ॥812॥
- अधिक जानकारी के लिए देखें आहार - 4.1.3-4।