शम: Difference between revisions
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<span class="GRef"> (प्रवचनसार / तात्पर्यवृत्ति/7/9/10) </span><p class="SanskritText">स एव धर्म:। स्वात्मभावनोत्थसुखामृतशीतलजलेन कामक्रोधादिरूपाग्निजनितस्य संसारदुखदाहस्योपशमकत्वात् शम इति।</p><p class="HindiText">वह धर्म ही शम है, क्योंकि स्वात्मभावना से उत्पन्न सुखामृत शीतल जल के द्वारा कामक्रोधादि से उत्पन्न संसार दुख की दाह को विनाश करने वाला है।</p> | |||
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Latest revision as of 15:07, 22 December 2022
(प्रवचनसार / तात्पर्यवृत्ति/7/9/10)
स एव धर्म:। स्वात्मभावनोत्थसुखामृतशीतलजलेन कामक्रोधादिरूपाग्निजनितस्य संसारदुखदाहस्योपशमकत्वात् शम इति।
वह धर्म ही शम है, क्योंकि स्वात्मभावना से उत्पन्न सुखामृत शीतल जल के द्वारा कामक्रोधादि से उत्पन्न संसार दुख की दाह को विनाश करने वाला है।