हरिवंश पुराण: Difference between revisions
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<li | <li class="HindiText">कवि धवल (वि.श.11-12) कृत अपभ्रंश काव्य। (<span class="GRef">तीर्थंकर महावीर और उनकी आचार्य परंपरा/4/119</span>)।</span></li> | ||
<li | <li class="HindiText">ब्र.जिनदास (ई.1393-1468) कृत 40 सर्ग प्रमाण संस्कृत काव्य। (<span class="GRef">तीर्थंकर महावीर और उनकी आचार्य परंपरा/3/340</span>)।</span></li> | ||
<li | <li class="HindiText">कवि रइधु (वि.1457-1536) कृत अपभ्रंश काव्य (देखें [[ रइधु ]])।</span></li> | ||
<li | <li class="HindiText">सकलकीर्ति (ई.1406-1442) कृत संस्कृत काव्य। (देखें [[ सकलकीर्ति ]])।</span></li> | ||
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Latest revision as of 17:16, 16 February 2024
- पुन्नाटसंघीय आचार्य जिनसेन (ई.783) कृत 66 सर्ग तथा 10,000 श्लोक संस्कृत काव्य। (तीर्थंकर महावीर और उनकी आचार्य परंपरा/3/4)।
- कवि धवल (वि.श.11-12) कृत अपभ्रंश काव्य। (तीर्थंकर महावीर और उनकी आचार्य परंपरा/4/119)।
- ब्र.जिनदास (ई.1393-1468) कृत 40 सर्ग प्रमाण संस्कृत काव्य। (तीर्थंकर महावीर और उनकी आचार्य परंपरा/3/340)।
- कवि रइधु (वि.1457-1536) कृत अपभ्रंश काव्य (देखें रइधु )।
- सकलकीर्ति (ई.1406-1442) कृत संस्कृत काव्य। (देखें सकलकीर्ति )।