शास्त्रज्ञान: Difference between revisions
From जैनकोष
No edit summary |
No edit summary |
||
(One intermediate revision by one other user not shown) | |||
Line 1: | Line 1: | ||
<span class="GRef">पंचाध्यायी / उत्तरार्ध श्लोक 616</span> <p class="SanskritText">वृद्धैः प्रोक्तमतः सूत्रे तत्त्वं वागतिशायि यत्। द्वादशांगांगबाह्यं वा श्रुतं स्थूलार्थगोचरम्।</p> | |||
<p class="HindiText">= इसलिए पूर्वाचार्यों ने सूत्र में कहा है कि जो तत्व है वह वचनातीत है और द्वादशांग तथा अंग बाह्यरूप शास्त्र-श्रुत ज्ञान स्थूल पदार्थ को विषय करने वाला है। अधिक जानकारी के लिए देखें [[ आगम ]]।</p> | |||
[[शास्त्र | | <noinclude> | ||
[[ शास्त्र वार्ता समुच्चय | पूर्व पृष्ठ ]] | |||
[[Category:श]] | [[ शास्त्रदान | अगला पृष्ठ ]] | ||
</noinclude> | |||
[[Category: श]] | |||
[[Category: द्रव्यानुयोग]] |
Latest revision as of 21:35, 27 December 2022
पंचाध्यायी / उत्तरार्ध श्लोक 616
वृद्धैः प्रोक्तमतः सूत्रे तत्त्वं वागतिशायि यत्। द्वादशांगांगबाह्यं वा श्रुतं स्थूलार्थगोचरम्।
= इसलिए पूर्वाचार्यों ने सूत्र में कहा है कि जो तत्व है वह वचनातीत है और द्वादशांग तथा अंग बाह्यरूप शास्त्र-श्रुत ज्ञान स्थूल पदार्थ को विषय करने वाला है। अधिक जानकारी के लिए देखें आगम ।