शिरोन्नति: Difference between revisions
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<span class="GRef"> अनगारधर्मामृत/8/90/817 </span><span class="SanskritText"> प्रत्यावर्तत्रयं भक्त्या नन्नमत् क्रियते शिर:। यत्पाणिकुड्मलांकं तत् क्रियायां स्याच्चतु:शिर:।</span><span class="HindiText">प्रकृत में शिर या शिरोनति शब्द का अर्थ भक्ति पूर्वक मुकुलित हुए दोनों हाथों से संयुक्त मस्तक का तीन-तीन आवर्तों के अनंतर नम्रीभूत होना समझना चाहिए।<br />अधिक जानकारी के लिए देखें [[ नमस्कार ]]।</p> | |||
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Latest revision as of 21:53, 2 January 2023
अनगारधर्मामृत/8/90/817 प्रत्यावर्तत्रयं भक्त्या नन्नमत् क्रियते शिर:। यत्पाणिकुड्मलांकं तत् क्रियायां स्याच्चतु:शिर:।
प्रकृत में शिर या शिरोनति शब्द का अर्थ भक्ति पूर्वक मुकुलित हुए दोनों हाथों से संयुक्त मस्तक का तीन-तीन आवर्तों के अनंतर नम्रीभूत होना समझना चाहिए।अधिक जानकारी के लिए देखें नमस्कार ।