अशुद्ध निश्चिय नय: Difference between revisions
From जैनकोष
(New page: दे नय V/ १<br>Category:अ <br>) |
J2jinendra (talk | contribs) No edit summary |
||
(6 intermediate revisions by 4 users not shown) | |||
Line 1: | Line 1: | ||
<p span class="HindiText"><strong name="V.1.8" id="V.1.8">अशुद्ध निश्चयनय का लक्षण व उदाहरण</strong> </span><br /> | |||
<span class="GRef">आलापपद्धति/10</span> <span class="SanskritText">सोपाधिकविषयोऽशुद्धनिश्चयो यथा मतिज्ञानादिजीव इति।</span> =<span class="HindiText">सोपाधिक गुण व गुणी में अभेद दर्शाने वाला अशुद्धनिश्चयनय है। जैसे–मतिज्ञानादि ही जीव अर्थात् उसके स्वभावभूत लक्षण हैं। </p> | |||
<p class="HindiText">अन्य परिभाषाओं के लिए देखें [[ नय#IV.2 | नय - IV. 2]]</p> | |||
<noinclude> | |||
[[ अशुद्ध चेतना | पूर्व पृष्ठ ]] | |||
[[ अशुद्धता | अगला पृष्ठ ]] | |||
</noinclude> | |||
[[Category: अ]] | |||
[[Category: द्रव्यानुयोग]] |
Latest revision as of 10:54, 29 December 2022
अशुद्ध निश्चयनय का लक्षण व उदाहरण
आलापपद्धति/10 सोपाधिकविषयोऽशुद्धनिश्चयो यथा मतिज्ञानादिजीव इति। =सोपाधिक गुण व गुणी में अभेद दर्शाने वाला अशुद्धनिश्चयनय है। जैसे–मतिज्ञानादि ही जीव अर्थात् उसके स्वभावभूत लक्षण हैं।
अन्य परिभाषाओं के लिए देखें नय - IV. 2