शुद्ध निश्चयनय: Difference between revisions
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<span class="GRef">नयचक्र बृहद्/115</span> <span class="PrakritGatha">सुद्धो जीवसहावो जो रहिओ दव्वभावकम्मेहिं। सो सुद्धणिच्छयादो समासिओ सुद्धणाणीहिं।115।</span>=<span class="HindiText">'''शुद्धनिश्चय नय''' से जीवस्वभाव द्रव्य व भावकर्मों से रहित कहा गया है।</span><br /> | |||
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Latest revision as of 14:26, 2 March 2024
नयचक्र बृहद्/115 सुद्धो जीवसहावो जो रहिओ दव्वभावकम्मेहिं। सो सुद्धणिच्छयादो समासिओ सुद्धणाणीहिं।115।=शुद्धनिश्चय नय से जीवस्वभाव द्रव्य व भावकर्मों से रहित कहा गया है।
अधिक जानकारी के लिये देखें नय - V.1.5।