सकलदत्ति: Difference between revisions
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<span class="GRef"> महापुराण/ 40 </span><span class="SanskritText"> आत्मान्वयप्रतिष्ठार्थं सूनवे यदशेषत:। समं समयवित्ताभ्यां स्ववर्गस्यातिसर्जनम् ।40। सैषा सकलदत्ति:...।41।</span> <span class="HindiText"> अपने वंश की प्रतिष्ठा के लिए पुत्र को समस्त कुल पद्धति तथा धन के साथ अपना कुटुंब समर्पण करने को '''सकल दत्ति''' (वा अन्वयदत्ति) कहते हैं।40।)</span> <span class="GRef">( चारित्रसार/43/6 )</span>; <span class="GRef">( सागार धर्मामृत/7/27-28 )</span><br> | |||
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<div class="HindiText"> <p class="HindiText"> दत्ति के चार भेदों में एक भेद । अपने वंश की प्रतिष्ठा के लिए पुत्र को कुलपद्धति तथा धन के साथ अपना कुटुंब सौंपना सकलदत्ति कहलाती है । <span class="GRef"> महापुराण 38.40-41 </span></p> | |||
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Latest revision as of 17:31, 18 February 2024
सिद्धांतकोष से
महापुराण/ 40 आत्मान्वयप्रतिष्ठार्थं सूनवे यदशेषत:। समं समयवित्ताभ्यां स्ववर्गस्यातिसर्जनम् ।40। सैषा सकलदत्ति:...।41। अपने वंश की प्रतिष्ठा के लिए पुत्र को समस्त कुल पद्धति तथा धन के साथ अपना कुटुंब समर्पण करने को सकल दत्ति (वा अन्वयदत्ति) कहते हैं।40।) ( चारित्रसार/43/6 ); ( सागार धर्मामृत/7/27-28 )
अधिक जानकारी के लिए देखें दान -1.4।)
पुराणकोष से
दत्ति के चार भेदों में एक भेद । अपने वंश की प्रतिष्ठा के लिए पुत्र को कुलपद्धति तथा धन के साथ अपना कुटुंब सौंपना सकलदत्ति कहलाती है । महापुराण 38.40-41