सर्वासंख्यात: Difference between revisions
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धवला पुस्तक 3/1,2,15/125/6 घणागारेण लोगं पेक्खमोण पदेसगणणं पडुच्च संखाभावादो। जं तं सव्वासंखेज्जयं तं घणलोगो।= घनलोक सर्वासंख्यात् है, क्योंकि, घनरूप से लोक के देखने पर प्रदेशों की गणना की अपेक्षा वे संख्यातीत हैं।
अधिक जानकारी के लिये देखें असंख्यात ।