असूनृत: Difference between revisions
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<span class="GRef">भगवती आराधना/सूत्र 829</span> <p class="PrakritText">जं वा गरहिदवयणं जं वा सावज्जसंजुदं वयणं। जं वा अप्पियवयणं असत्तवयणं चउत्थं च।</p> | |||
<p class="HindiText">= जो निंद्य वचन बोलना, जो अप्रिय वचन बोलना और जो पाप युक्त वचन बोलना वह सब चौथे प्रकार का असूनृत असत्य वचन है।</p><br> | |||
<p class="HindiText">देखें [[ असत्य ]]।</p> | |||
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असूनृत रूप असत्य
भगवती आराधना/सूत्र 829
जं वा गरहिदवयणं जं वा सावज्जसंजुदं वयणं। जं वा अप्पियवयणं असत्तवयणं चउत्थं च।
= जो निंद्य वचन बोलना, जो अप्रिय वचन बोलना और जो पाप युक्त वचन बोलना वह सब चौथे प्रकार का असूनृत असत्य वचन है।
देखें असत्य ।