अध्यवधि: Difference between revisions
From जैनकोष
No edit summary |
J2jinendra (talk | contribs) No edit summary |
||
(7 intermediate revisions by 3 users not shown) | |||
Line 1: | Line 1: | ||
<p class="HindiText">1. आहार के 46 दोषों में से एक दोष - संयमी साधु को आता देख उनको देने के लिए अपने निमित्त चूल्हे पर रखे हुए जल और चावलों मे और अधिक जल और चावल मिला कर फिर पकावे। अथवा जब तक भोजन तैय्यार न हो, तब तक धर्म प्रश्न के बहाने साधु को रोक रखे, वह <b>अध्यधि दोष</b> है।<span class="GRef">मूलाचार / आचारवृत्ति / गाथा 447-461</span> </p> | |||
<p class="HindiText"> - और देखें [[ आहार#II.4.4 | आहार - II.4.4]]।<br> | |||
<p class="HindiText"> 2. वसति का एक दोष। - देखें [[ वसतिका ]]।</p> | |||
<noinclude> | |||
[[ अध्ययन कुशल साधु | पूर्व पृष्ठ ]] | |||
[[ अध्यवसान | अगला पृष्ठ ]] | |||
</noinclude> | |||
[[Category: अ]] | |||
[[Category: चरणानुयोग]] |
Latest revision as of 10:07, 12 December 2022
1. आहार के 46 दोषों में से एक दोष - संयमी साधु को आता देख उनको देने के लिए अपने निमित्त चूल्हे पर रखे हुए जल और चावलों मे और अधिक जल और चावल मिला कर फिर पकावे। अथवा जब तक भोजन तैय्यार न हो, तब तक धर्म प्रश्न के बहाने साधु को रोक रखे, वह अध्यधि दोष है।मूलाचार / आचारवृत्ति / गाथा 447-461
- और देखें आहार - II.4.4।
2. वसति का एक दोष। - देखें वसतिका ।