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< | <span class="GRef"> ''गोम्मटसार कर्मकांड./भाषा/583/789'' </span><p class="HindiText"> ते नामकर्म के उदय स्थान जिस जिस काल विषैं उदय योग्य है तहाँ ही होंइ तातैं नियतकाल है। (इसको उदय काल कहते हैं)...कार्मण शरीर जहाँ पाइए सो कार्मण काल यावत् शरीर पर्याप्ति पूर्ण न होइ तावत् शरीर मिश्रकाल, शरीर पर्याप्ति पूर्ण भएँ यावत् सांसोश्वास पर्याप्ति पूर्ण न होइ तावत् शरीरपर्याप्ति काल, सांसोश्वास पर्याप्ति पूर्ण भएँ यावत् भाषा पर्याप्ति पूर्ण न होइ तावत् आनपान पर्याप्तिकाल, भाषा पर्याप्ति पूर्ण भएँ पीछैं सर्व अवशेष आयु प्रमाण भाषापर्याप्ति कहिए।</p> <span class="GRef">''गोम्मटसार जीवकांड / जीवतत्त्व प्रदीपिका/266/582/2'' </span> <span class="SanskritText"><p class="HindiText">उपक्रम: तत्सहित: काल: सोपक्रमकाल: निरंतरोत्पत्तिकाल इत्यर्थ:।...अनुपक्रमकाल: उत्पत्तिरहित: काल:।</p> </span><span class="HindiText">=उपक्रम कहिए उत्पत्ति तोंहि सहित जो काल सो सोपक्रम काल कहिए सो आवली के असंख्यातवें भाग मात्र है।...बहुरि जो उत्पत्ति रहित काल होइ सो <strong>अनुपक्रम काल</strong> कहिए।</p><BR> | ||
<p class="HindiText"> देखें [[ काल#1.3 | काल - 1.3]]।</p> | |||
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Latest revision as of 19:33, 19 December 2022
गोम्मटसार कर्मकांड./भाषा/583/789
ते नामकर्म के उदय स्थान जिस जिस काल विषैं उदय योग्य है तहाँ ही होंइ तातैं नियतकाल है। (इसको उदय काल कहते हैं)...कार्मण शरीर जहाँ पाइए सो कार्मण काल यावत् शरीर पर्याप्ति पूर्ण न होइ तावत् शरीर मिश्रकाल, शरीर पर्याप्ति पूर्ण भएँ यावत् सांसोश्वास पर्याप्ति पूर्ण न होइ तावत् शरीरपर्याप्ति काल, सांसोश्वास पर्याप्ति पूर्ण भएँ यावत् भाषा पर्याप्ति पूर्ण न होइ तावत् आनपान पर्याप्तिकाल, भाषा पर्याप्ति पूर्ण भएँ पीछैं सर्व अवशेष आयु प्रमाण भाषापर्याप्ति कहिए।
गोम्मटसार जीवकांड / जीवतत्त्व प्रदीपिका/266/582/2
उपक्रम: तत्सहित: काल: सोपक्रमकाल: निरंतरोत्पत्तिकाल इत्यर्थ:।...अनुपक्रमकाल: उत्पत्तिरहित: काल:।
=उपक्रम कहिए उत्पत्ति तोंहि सहित जो काल सो सोपक्रम काल कहिए सो आवली के असंख्यातवें भाग मात्र है।...बहुरि जो उत्पत्ति रहित काल होइ सो अनुपक्रम काल कहिए।
देखें काल - 1.3।