अर्धमागधी: Difference between revisions
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<p> सब भाषाओं मे परिणमनशील भाषा । यह भाषा सर्व अक्षररूप दिव्य अंग वाली, समस्त अक्षरों की निरूपक, सभी को | <div class="HindiText"> <p class="HindiText"> सब भाषाओं मे परिणमनशील भाषा । यह भाषा सर्व अक्षररूप दिव्य अंग वाली, समस्त अक्षरों की निरूपक, सभी को आनंद देने वाली और संदेह नाश करने वाली है । इस भाषा में तीर्थंकरों ने धर्म और न्याय को प्रकट किया है । <span class="GRef"> [[ग्रन्थ:हरिवंश पुराण_-_सर्ग_3#16|हरिवंशपुराण - 3.16]], </span><span class="GRef"> वीरवर्द्धमान चरित्र 19.62-63 </span></p> | ||
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Latest revision as of 14:39, 27 November 2023
सब भाषाओं मे परिणमनशील भाषा । यह भाषा सर्व अक्षररूप दिव्य अंग वाली, समस्त अक्षरों की निरूपक, सभी को आनंद देने वाली और संदेह नाश करने वाली है । इस भाषा में तीर्थंकरों ने धर्म और न्याय को प्रकट किया है । हरिवंशपुराण - 3.16, वीरवर्द्धमान चरित्र 19.62-63