उपवृंहण: Difference between revisions
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Latest revision as of 15:42, 17 October 2023
सम्यग्दर्शन का एक अंग । इसके द्वारा क्षमा आदि भावनाओं से आत्मधर्म की वृद्धि की जाती हैं । महापुराण 63.318