औपशमिक चारित्र: Difference between revisions
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<p> मोहनीय कर्म के पूर्णत उपशमन से प्राप्त चारित्र । इसकी उपलब्धि से मोक्ष मिलता है । महापुराण 11.91, हरिवंशपुराण 3.145 | <div class="HindiText"> <p class="HindiText"> मोहनीय कर्म के पूर्णत: उपशमन से प्राप्त चारित्र । इसकी उपलब्धि से मोक्ष मिलता है । <span class="GRef"> महापुराण 11.91, </span><span class="GRef"> [[ग्रन्थ:हरिवंश पुराण_-_सर्ग_3#145|हरिवंशपुराण - 3.145]] </span></p> | ||
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मोहनीय कर्म के पूर्णत: उपशमन से प्राप्त चारित्र । इसकी उपलब्धि से मोक्ष मिलता है । महापुराण 11.91, हरिवंशपुराण - 3.145