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| <p id="1"> (1) विदेहक्षेत्र के मंगलावती देश में स्थित कनकप्रभ नगर का विद्याधर राजा कनकपुंख और उसकी रानी कनकमाला का पुत्र । यह एक समय अपनी भार्या कनकवती के साथ वन्दनार्थ मेरु पर गया था । वहाँ प्रियमित्र नामक अवधि-ज्ञानी मुनि से धर्म का स्वरूप सुनकर और भोगो से विरक्त होकर इसने जिन-दीक्षा धारण कर ली थी तथा संयमपूर्वक मरण कर सातवें स्वर्ग में देव तथा वहाँ से च्युत होकर साकेत नगरी मे वज्रसेन का हरिषेण नानक पुत्र हुआ । महापुराण 74.221-232, वीरवर्द्धमान चरित्र 4.72-123</p>
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| <p id="2">(2) भगवान् महावीर के नौवें पूर्वभव का जीव । महापुराण 74. 220-229, 76.541</p>
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| | #REDIRECT [[कनकोज्ज्वल]] |
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| [[Category: पुराण-कोष]]
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| [[Category: क]]
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