गांगेय: Difference between revisions
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<span class="GRef">पांडव पुराण/सर्ग/श्लोक</span><br> <p class="HindiText">इनका अपर नाम भीष्माचार्य था और राजा पाराशर का पुत्र था (7/80)। पिता को धीवर की कन्या पर आसक्त देख धीवर की शर्त पूरी करके अपने पिता को संतुष्ट करने के लिए आपने स्वयं राज्य का त्याग कर दिया और आजन्म ब्रह्मचर्य से रहने की भीष्म प्रतिज्ञा की (7/92-106)। कौरवों तथा पांडवों को अनेकों उपयोगी विषयों की शिक्षा दी (8/208)। कौरवों द्वारा पांडवों का दहन सुन दु:खी हुए (12/189)। अनेकों बार कौरवों की ओर से पांडवों के विरुद्ध लड़े। अंत में कृष्ण जरासंध युद्ध में राजा शिखंडी द्वारा मरणासन्न कर दिये गये। तब उन्होंने जीवन का अंत जान सन्यास धारण कर लिया (19/243)। इसी समय दो चारण मुनियों के आजाने पर सल्लेखनापूर्वक प्राण त्याग ब्रह्म स्वर्ग में उत्पन्न हुए (19/254-271)।</p> | |||
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पांडव पुराण/सर्ग/श्लोक
इनका अपर नाम भीष्माचार्य था और राजा पाराशर का पुत्र था (7/80)। पिता को धीवर की कन्या पर आसक्त देख धीवर की शर्त पूरी करके अपने पिता को संतुष्ट करने के लिए आपने स्वयं राज्य का त्याग कर दिया और आजन्म ब्रह्मचर्य से रहने की भीष्म प्रतिज्ञा की (7/92-106)। कौरवों तथा पांडवों को अनेकों उपयोगी विषयों की शिक्षा दी (8/208)। कौरवों द्वारा पांडवों का दहन सुन दु:खी हुए (12/189)। अनेकों बार कौरवों की ओर से पांडवों के विरुद्ध लड़े। अंत में कृष्ण जरासंध युद्ध में राजा शिखंडी द्वारा मरणासन्न कर दिये गये। तब उन्होंने जीवन का अंत जान सन्यास धारण कर लिया (19/243)। इसी समय दो चारण मुनियों के आजाने पर सल्लेखनापूर्वक प्राण त्याग ब्रह्म स्वर्ग में उत्पन्न हुए (19/254-271)।