जयाचार्य: Difference between revisions
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Latest revision as of 15:10, 27 November 2023
अंतिम श्रुतकेवली भद्रबाहु के पश्चात् एक सौ तेरासी वर्ष की अवधि में हुए दशपूर्वधारी, द्वादशांग का अर्थ कहने मे कुशल, भव्यजनों के लिए कल्पवृक्ष, जैनधर्म के प्रकाशक ग्यारह आचार्यों में चतुर्थ आचार्य । महापुराण 2.141-145,76.521-524