पंकबहुल: Difference between revisions
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Latest revision as of 15:15, 27 November 2023
रत्नप्रभा पृथिवी के तीन भागों मै द्वितीय भाग । यह भाग चौरासी हजार योजन मोटा है । यहाँ राक्षसों और असुरकुमारों के रत्नमय देदीप्यमान भवन होते हैं । हरिवंशपुराण - 4.47-50