भव्यकूट: Difference between revisions
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Latest revision as of 15:15, 27 November 2023
समवसरण का दैदीप्यमान शिखरों से युक्त एक स्तूप । इसे अभव्य जीव नहीं देख पाते क्योंकि स्तूप के प्रभाव से उनके नेत्र अंधे हो जाते हैं । हरिवंशपुराण - 57.104