भाजनांग: Difference between revisions
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<p> उत्तरकुरु-भोगभूमि के दस प्रकार के रत्नमय कल्पवृक्षों में एक प्रकार के कल्पवृक्ष । इनसे थाली, कटोरा, सीप के आकार के बर्तन, शृंगार और अन्य इच्छित बर्तन प्राप्त होते हैं । महापुराण 9.34-36 47, हरिवंशपुराण 7.80, 86, वीरवर्द्धमान चरित्र 18.91-92</p> | <div class="HindiText"> <p class="HindiText"> उत्तरकुरु-भोगभूमि के दस प्रकार के रत्नमय कल्पवृक्षों में एक प्रकार के कल्पवृक्ष । इनसे थाली, कटोरा, सीप के आकार के बर्तन, शृंगार और अन्य इच्छित बर्तन प्राप्त होते हैं । <span class="GRef"> महापुराण 9.34-36 47, </span><span class="GRef"> [[ग्रन्थ:हरिवंश पुराण_-_सर्ग_7#80|हरिवंशपुराण - 7.80]],[[ग्रन्थ:हरिवंश पुराण_-_सर्ग_7#86|हरिवंशपुराण - 7.86]], </span><span class="GRef"> वीरवर्द्धमान चरित्र 18.91-92 </span></p> | ||
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Latest revision as of 15:15, 27 November 2023
उत्तरकुरु-भोगभूमि के दस प्रकार के रत्नमय कल्पवृक्षों में एक प्रकार के कल्पवृक्ष । इनसे थाली, कटोरा, सीप के आकार के बर्तन, शृंगार और अन्य इच्छित बर्तन प्राप्त होते हैं । महापुराण 9.34-36 47, हरिवंशपुराण - 7.80,हरिवंशपुराण - 7.86, वीरवर्द्धमान चरित्र 18.91-92