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| <p id="1"> (1) सुमेरु पर्वत का अपर नाम । यह जम्बूद्वीप के मध्य में स्थित है । महापुराण 51. 2, पद्मपुराण 82.6-8, हरिवंशपुराण 2.40, 4.11</p>
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| <p id="2">(2) राजा जरासन्ध का पुत्र । हरिवंशपुराण 52.35</p>
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| <p id="3">(3) मथुरा नगरी के राजा अनन्तवीर्य और रानी अमितवती का पुत्र । मेरु इसका बड़ा भाई था । ये दोनों भाई निकटभव्य थे । दोनों ने विमलनाथ तीर्थङ्कर से अपने पूर्वभव सुनकर उनसे दीक्षा ग्रहण कर ली थी तथा उन्हीं के दोनों गणधर होकर मोक्ष गये । हरिवंशपुराण के अनुसार इसके पिता का नाम रत्नवीर्य और माता का नाम अमितप्रभा था । महापुराण 19.302-304, 310-312 हरिवंशपुराण 27.136 </p>
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| <p id="4">(4) कुरुवंशी एक नृप । यह राजा ज्ञात का पुत्र तथा श्रीचन्द्र का पिता था । हरिवंशपुराण 45.11-12</p>
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| <p id="5">(5) मेरु की पूर्वोत्तर दिशा में स्थित नन्दन वन का दूसरा कूट । हरिवंशपुराण 5.329</p>
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| <p id="6">(6) रुचक्रगिरि को दक्षिण दिशा के आठ कूटों में तीसरा कूट । यहाँँ सुप्रबुद्धा देवी रहती है । हरिवंशपुराण 5.708</p>
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| <p id="7">(7) वानरवंशी राजा मेरु का पुत्र तथा समीरणगति का पिता । पद्मपुराण 6.161</p>
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| <p id="8">(8) जम्बूद्वीप के भरतक्षेत्र का एक नगर । यहाँ के सद्गृहस्थ प्रियनन्दी के पुत्र दमयन्त ने सप्त गुणों से युक्त होकर साधुओं की पारणा करायी थी । अनेक सद्गतियों को प्राप्त करके मोक्ष पाने वाला दमयन्त यहीं के निवासी एक सद्गृहस्थ प्रियनन्दी का पुत्र था । पद्मपुराण 17. 141-165 देखें [[ दमयन्त ]]</p>
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| <p id="9">(9) सीता-स्वयंवर में सम्मिलित एक नृप । पद्मपुराण 28.215, 54.34-36</p>
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| [[Category: पुराण-कोष]]
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