सज्जातिक्रिया: Difference between revisions
From जैनकोष
(Imported from text file) |
(Imported from text file) |
||
(4 intermediate revisions by 3 users not shown) | |||
Line 1: | Line 1: | ||
<p> परम निर्वाण के खान स्थानों में प्रथम स्थान और भव्य प्राणी के ही होने योग्य कर्त्रन्वय क्रियाओं में कल्याणकारिणी प्रथम क्रिया | <div class="HindiText"> <p class="HindiText"> परम निर्वाण के खान स्थानों में प्रथम स्थान और भव्य प्राणी के ही होने योग्य कर्त्रन्वय क्रियाओं में कल्याणकारिणी प्रथम क्रिया संस्कार । पिता के वंश की शुद्धि कुल और माता के वंश की शुद्धि जाति है तथा कुल और जाति दोनों की शुद्धि सज्जाति कहलाती है । यह शुभकृत्य करने से प्राप्त होती है । इष्ट पदार्थों की सिद्धि इसका फल है । <span class="GRef"> महापुराण 38.67, 39.81-86 </span></p> | ||
</div> | |||
<noinclude> | <noinclude> | ||
[[ | [[ सज्जनचित्त वल्लभ | पूर्व पृष्ठ ]] | ||
[[ सत् | अगला पृष्ठ ]] | [[ सत् | अगला पृष्ठ ]] | ||
Line 10: | Line 10: | ||
[[Category: पुराण-कोष]] | [[Category: पुराण-कोष]] | ||
[[Category: स]] | [[Category: स]] | ||
[[Category: प्रथमानुयोग]] |
Latest revision as of 15:25, 27 November 2023
परम निर्वाण के खान स्थानों में प्रथम स्थान और भव्य प्राणी के ही होने योग्य कर्त्रन्वय क्रियाओं में कल्याणकारिणी प्रथम क्रिया संस्कार । पिता के वंश की शुद्धि कुल और माता के वंश की शुद्धि जाति है तथा कुल और जाति दोनों की शुद्धि सज्जाति कहलाती है । यह शुभकृत्य करने से प्राप्त होती है । इष्ट पदार्थों की सिद्धि इसका फल है । महापुराण 38.67, 39.81-86