अनलकायिक: Difference between revisions
From जैनकोष
(Imported from text file) |
J2jinendra (talk | contribs) No edit summary |
||
(4 intermediate revisions by one other user not shown) | |||
Line 1: | Line 1: | ||
<span class="GRef"> राजवार्तिक/4/23/4/242/17 </span><span class="SanskritText">आकाशोपपन्नाश्च द्वादशविधा:। पांशुतापिलवणतापि-तपनतापि-भवनतापि-सोमकायिक-यमकायिक-वरुणकायिक-वैश्रवणकायिक-पितृकायिक-अनलकायिक-रिष्ट-अरिष्ट-संभवा इति। </span>=<span class="HindiText">आकाशोपपन्न देव बारह प्रकार के हैं–पांशुतापि, लवणतापि, तपनतापि, भवनतापि, सोमकायिक, यमकायिक, वरुणकायिक, वैश्रवणकायिक, पितृकायिक, <b>अनलकायिक</b>, रिष्टक, अरिष्टक और संभव।</p><br /> | |||
<p class="HindiText">आकाशोपपन्न देव - और देखें [[ देव#II.1.3 | देव - II.1.3]]।</p> | |||
<noinclude> | <noinclude> | ||
[[ अनल | [[ अनल | पूर्व पृष्ठ ]] | ||
[[ | [[ अनलस्तंभिनी | अगला पृष्ठ ]] | ||
</noinclude> | </noinclude> | ||
[[Category: अ]] | [[Category: अ]] | ||
[[Category: करणानुयोग]] |
Latest revision as of 10:03, 16 December 2022
राजवार्तिक/4/23/4/242/17 आकाशोपपन्नाश्च द्वादशविधा:। पांशुतापिलवणतापि-तपनतापि-भवनतापि-सोमकायिक-यमकायिक-वरुणकायिक-वैश्रवणकायिक-पितृकायिक-अनलकायिक-रिष्ट-अरिष्ट-संभवा इति। =
आकाशोपपन्न देव बारह प्रकार के हैं–पांशुतापि, लवणतापि, तपनतापि, भवनतापि, सोमकायिक, यमकायिक, वरुणकायिक, वैश्रवणकायिक, पितृकायिक, अनलकायिक, रिष्टक, अरिष्टक और संभव।आकाशोपपन्न देव - और देखें देव - II.1.3।