अविष्वग्भाव: Difference between revisions
From जैनकोष
(Imported from text file) |
J2jinendra (talk | contribs) No edit summary |
||
(3 intermediate revisions by 2 users not shown) | |||
Line 1: | Line 1: | ||
<span class="GRef">स्याद्वादमंजरी श्लोक 16/217/24 </span><p class="SanskritText">अविष्वग्भावेनावयविनोऽवयवेषु वृत्तेः स्वीकारात्।</p> | |||
<p>= प्रत्येक अवयवी अनेक | <p class="HindiText">= प्रत्येक अवयवी अनेक अवयवों में अविष्वग्भाव रूप से अर्थात् अभेद रूप से स्वीकार किया गया है।</p> | ||
<noinclude> | <noinclude> | ||
[[ अविशेषसमा | [[ अविशेषसमा | पूर्व पृष्ठ ]] | ||
[[ अव्यक्त | [[ अव्यक्त | अगला पृष्ठ ]] | ||
</noinclude> | </noinclude> | ||
[[Category: अ]] | [[Category: अ]] | ||
[[Category: द्रव्यानुयोग]] |
Latest revision as of 14:08, 28 December 2022
स्याद्वादमंजरी श्लोक 16/217/24
अविष्वग्भावेनावयविनोऽवयवेषु वृत्तेः स्वीकारात्।
= प्रत्येक अवयवी अनेक अवयवों में अविष्वग्भाव रूप से अर्थात् अभेद रूप से स्वीकार किया गया है।