आदित्य: Difference between revisions
From जैनकोष
(Imported from text file) |
(Imported from text file) |
||
(11 intermediate revisions by 4 users not shown) | |||
Line 1: | Line 1: | ||
<p>1. | | ||
== सिद्धांतकोष से == | |||
<p class="HindiText">1. यह आठ लौकांतिक देवों में से दूसरा देव है। - देखें [[ लौकांतिक_देव ]];</p> | |||
<p class="HindiText">2. यह अनुदिश स्वर्ग के बीचोंबीच का पटल व इंद्रक विमान भी है। - देखें [[ स्वर्ग_देव#5.4 | स्वर्ग - 5.4]]।</p> | |||
<noinclude> | <noinclude> | ||
[[ | [[ आदिकल्याणक | पूर्व पृष्ठ ]] | ||
[[ | [[ आदित्य पराक्रम | अगला पृष्ठ ]] | ||
</noinclude> | </noinclude> | ||
[[Category: आ]] | [[Category: आ]] | ||
== पुराणकोष से == | |||
<div class="HindiText"> <p id="1" class="HindiText"> (1) लौकांतिक देवों का एक भेद । ये ब्रह्मलोक के निवासी, पूर्वभवों के ज्ञाता, शुभ लेश्या एवं शुभ भावना वाले सौम्य, महाऋद्धिधारी, लोक के अंत में निवास करने के कारण ‘लौकांतिक’ इस नाम से विख्यात, तीर्थंकरों के प्रबोधनार्थ स्वर्ग से भूमि पर आने वाले देव है । <span class="GRef"> महापुराण 17.47-50, </span><span class="GRef"> [[ग्रन्थ:हरिवंश पुराण_-_सर्ग_2#49|हरिवंशपुराण - 2.49]], 9.63-64, </span><span class="GRef"> वीरवर्द्धमान चरित्र 12.2-8 </span></p> | |||
<p id="2" class="HindiText">(2) नौ अनुदिश विमानों में एक इंद्रक विमान । <span class="GRef"> [[ग्रन्थ:हरिवंश पुराण_-_सर्ग_6#54|हरिवंशपुराण - 6.54]],64 </span></p> | |||
<p id="3" class="HindiText">(3) चंपापुर का राजा । कालिंदों में प्रवाहित पांडु के पुत्र कर्ण को इसी ने प्राप्त किया था । <span class="GRef"> महापुराण 70.109-114 </span></p> | |||
<p id="4" class="HindiText">(4) इस नाम के एक मुनि । इन्होंने चंद्राभनगर के राजा धनपति को भविष्यवाणी की थी कि इसकी पुत्री पद्मोत्तमा को एक सर्प काटेगा और जीवंधरकुमार उसका विष उतारेगा । <span class="GRef"> महापुराण 75. 390-398 </span></p> | |||
</div> | |||
<noinclude> | |||
[[ आदिकल्याणक | पूर्व पृष्ठ ]] | |||
[[ आदित्य पराक्रम | अगला पृष्ठ ]] | |||
</noinclude> | |||
[[Category: पुराण-कोष]] | |||
[[Category: आ]] | |||
[[Category: करणानुयोग]] | |||
[[Category: प्रथमानुयोग]] |
Latest revision as of 14:40, 27 November 2023
सिद्धांतकोष से
1. यह आठ लौकांतिक देवों में से दूसरा देव है। - देखें लौकांतिक_देव ;
2. यह अनुदिश स्वर्ग के बीचोंबीच का पटल व इंद्रक विमान भी है। - देखें स्वर्ग - 5.4।
पुराणकोष से
(1) लौकांतिक देवों का एक भेद । ये ब्रह्मलोक के निवासी, पूर्वभवों के ज्ञाता, शुभ लेश्या एवं शुभ भावना वाले सौम्य, महाऋद्धिधारी, लोक के अंत में निवास करने के कारण ‘लौकांतिक’ इस नाम से विख्यात, तीर्थंकरों के प्रबोधनार्थ स्वर्ग से भूमि पर आने वाले देव है । महापुराण 17.47-50, हरिवंशपुराण - 2.49, 9.63-64, वीरवर्द्धमान चरित्र 12.2-8
(2) नौ अनुदिश विमानों में एक इंद्रक विमान । हरिवंशपुराण - 6.54,64
(3) चंपापुर का राजा । कालिंदों में प्रवाहित पांडु के पुत्र कर्ण को इसी ने प्राप्त किया था । महापुराण 70.109-114
(4) इस नाम के एक मुनि । इन्होंने चंद्राभनगर के राजा धनपति को भविष्यवाणी की थी कि इसकी पुत्री पद्मोत्तमा को एक सर्प काटेगा और जीवंधरकुमार उसका विष उतारेगा । महापुराण 75. 390-398