आर्य कूष्मांड देवी: Difference between revisions
From जैनकोष
(Imported from text file) |
No edit summary |
||
(6 intermediate revisions by 4 users not shown) | |||
Line 1: | Line 1: | ||
<p>एक विद्याधर विद्या | <p> <span class="GRef"> हरिवंशपुराण/22/51-73 </span> धरणेन्द्र ने राजा ऋषभदेव की अनुमति से नमि और विनमि को अपनी देवियों अदिति और दिति से सोलह विद्यानिकाय दिलवाईं। उन निकायों में स्थित अनेक विद्याओं में से यह एक विद्याधर विद्या है। <br > | ||
<br > | |||
विद्याओं के सम्बन्ध में विशेष जानने हेतु देखें [[ विद्या ]]।</p> | |||
<noinclude> | <noinclude> | ||
[[ आर्य | [[ आर्य | पूर्व पृष्ठ ]] | ||
[[ | [[ आर्यकूष्मांडदेवी | अगला पृष्ठ ]] | ||
</noinclude> | </noinclude> | ||
[[Category: आ]] | [[Category: आ]] | ||
[[Category: प्रथमानुयोग]] |
Latest revision as of 13:23, 7 March 2023
हरिवंशपुराण/22/51-73 धरणेन्द्र ने राजा ऋषभदेव की अनुमति से नमि और विनमि को अपनी देवियों अदिति और दिति से सोलह विद्यानिकाय दिलवाईं। उन निकायों में स्थित अनेक विद्याओं में से यह एक विद्याधर विद्या है।
विद्याओं के सम्बन्ध में विशेष जानने हेतु देखें विद्या ।