आर्यनंदि: Difference between revisions
From जैनकोष
(Imported from text file) |
(Imported from text file) |
||
(6 intermediate revisions by 4 users not shown) | |||
Line 1: | Line 1: | ||
<p class="HindiText">पंचस्तूप संघ की पट्टावली के अनुसार (देखें [[ इतिहास#7.7 | इतिहास - 7.7]]) चंद्रसेन के शिष्य तथा वीरसेन (धवलाकार) के गुरु थे। तदनुसार इनका समय ई.767-798 आता है।</p> | |||
<p>( आत्मानुशासन प्रस्तावना 8/A.N. | <p><span class="GRef">(आत्मानुशासन प्रस्तावना 8/A.N.Upadhey; H.L.Jain)</span>; <span class="GRef">(हरिवंश पुराण/पं. पन्नालाल)</span>।</p> | ||
<noinclude> | <noinclude> | ||
[[ | [[ आर्यदेश | पूर्व पृष्ठ ]] | ||
[[ | [[ आर्यमंक्षु | अगला पृष्ठ ]] | ||
</noinclude> | </noinclude> | ||
[[Category: आ]] | [[Category: आ]] | ||
[[Category: इतिहास]] |
Latest revision as of 22:16, 17 November 2023
पंचस्तूप संघ की पट्टावली के अनुसार (देखें इतिहास - 7.7) चंद्रसेन के शिष्य तथा वीरसेन (धवलाकार) के गुरु थे। तदनुसार इनका समय ई.767-798 आता है।
(आत्मानुशासन प्रस्तावना 8/A.N.Upadhey; H.L.Jain); (हरिवंश पुराण/पं. पन्नालाल)।