ईशित्व ऋद्धि: Difference between revisions
From जैनकोष
(Imported from text file) |
J2jinendra (talk | contribs) No edit summary |
||
(7 intermediate revisions by 4 users not shown) | |||
Line 1: | Line 1: | ||
<p>देखें [[ ऋद्धि#3 | ऋद्धि - 3]]।</p> | <span class="GRef">धवला पुस्तक संख्या ९/४,१,१५/७६/२</span><p class=" PrakritText "> सव्वेसिं जीवाणं गामणयरखेडादीणं च भुंजणसत्ती समुप्पण्णा ईसित्तं णाम। माणुस-मायंग-हरि-तुरयादीणं सगिच्छाए विउव्वणसत्ती वसित्तं णाम। </p><p class="HindiText">= सब जीवों तथा ग्राम, नगर, एवं खेडे आदिकों के भोगने की जो शक्ति उत्पन्न होती है वह '''ईशित्व''' ऋद्धि कही जाती है। मनुष्य, हाथी, सिंह एवं घोड़े आदिक रूप अपनी इच्छा से विक्रिया करने की (अर्थात् उनका आकार बदल देने की) शक्ति का नाम वशित्व है।</p> | ||
<p class="HindiText">अधिक जानकारी के लिये देखें [[ ऋद्धि#3 | ऋद्धि - 3]]।</p> | |||
<noinclude> | <noinclude> | ||
[[ | [[ ईशित | पूर्व पृष्ठ ]] | ||
[[ ईश्वर | [[ ईश्वर | अगला पृष्ठ ]] | ||
</noinclude> | </noinclude> | ||
[[Category: ई]] | [[Category: ई]] | ||
[[Category: करणानुयोग]] |
Latest revision as of 10:58, 12 July 2023
धवला पुस्तक संख्या ९/४,१,१५/७६/२
सव्वेसिं जीवाणं गामणयरखेडादीणं च भुंजणसत्ती समुप्पण्णा ईसित्तं णाम। माणुस-मायंग-हरि-तुरयादीणं सगिच्छाए विउव्वणसत्ती वसित्तं णाम।
= सब जीवों तथा ग्राम, नगर, एवं खेडे आदिकों के भोगने की जो शक्ति उत्पन्न होती है वह ईशित्व ऋद्धि कही जाती है। मनुष्य, हाथी, सिंह एवं घोड़े आदिक रूप अपनी इच्छा से विक्रिया करने की (अर्थात् उनका आकार बदल देने की) शक्ति का नाम वशित्व है।
अधिक जानकारी के लिये देखें ऋद्धि - 3।