क्षुल्लक भव ग्रहण: Difference between revisions
From जैनकोष
m (Vikasnd moved page क्षुल्लक भव ग्रहण to क्षुल्लक भव ग्रहण without leaving a redirect: RemoveZWNJChar) |
J2jinendra (talk | contribs) No edit summary |
||
(2 intermediate revisions by 2 users not shown) | |||
Line 1: | Line 1: | ||
<span class="GRef"> धवला 14/5,6,646/504/2 </span><span class="PrakritText">आउअबंधे संते जो उवरि विस्समणकालो सव्वजहण्णो तस्स खुद्दा भवग्गहणं ति सण्णा। सो त्तो उवरि होदि।... असंखेयद्धस्सुवरि खुद्धाभवगहणं त्ति वुत्ते।</span> = <span class="HindiText">आयु बंध के होने पर जो सबसे जघन्य विश्रमण काल है उसकी '''क्षुल्लक भव ग्रहण''' संज्ञा है। वह आयु बंधकाल के ऊपर होता है। ... असंक्षेपाद्धाके ऊपर (मृत्युपर्यंत) '''क्षुल्लक भव ग्रहण''' है।</span> | |||
[[ | <span class="HindiText">देखें [[ भव ]]।</span> | ||
[[Category:क्ष]] | <noinclude> | ||
[[ क्षुल्लक | पूर्व पृष्ठ ]] | |||
[[ क्षेत्र | अगला पृष्ठ ]] | |||
</noinclude> | |||
[[Category: क्ष]] | |||
[[Category: करणानुयोग]] |
Latest revision as of 14:09, 14 April 2023
धवला 14/5,6,646/504/2 आउअबंधे संते जो उवरि विस्समणकालो सव्वजहण्णो तस्स खुद्दा भवग्गहणं ति सण्णा। सो त्तो उवरि होदि।... असंखेयद्धस्सुवरि खुद्धाभवगहणं त्ति वुत्ते। = आयु बंध के होने पर जो सबसे जघन्य विश्रमण काल है उसकी क्षुल्लक भव ग्रहण संज्ञा है। वह आयु बंधकाल के ऊपर होता है। ... असंक्षेपाद्धाके ऊपर (मृत्युपर्यंत) क्षुल्लक भव ग्रहण है।
देखें भव ।