नित्यरसी व्रत: Difference between revisions
From जैनकोष
m (Vikasnd moved page नित्यरसी व्रत to नित्यरसी व्रत without leaving a redirect: RemoveZWNJChar) |
mNo edit summary |
||
(3 intermediate revisions by one other user not shown) | |||
Line 1: | Line 1: | ||
वर्ष में एक बार आता है। ज्येष्ठ कृ.1 से ज्येष्ठ पूर्णिमा तक कृ.1 को उपवास तथा 2-15 तक एकाशना करें। फिर शु.1 को उपवास और 2-15 तक एकाशना करें। जघन्य 1 वर्ष, मध्यम 12 वर्ष और उत्कृष्ट 24 वर्ष तक करना पड़ता है। ‘ॐ ह्रीं श्री वृषभजिनाय नम:’ इस मंत्र का त्रिकाल जाप्य करे। (व्रत विधान संग्रह/पृ.102)। | |||
<noinclude> | |||
[[ | [[ नित्यमह | पूर्व पृष्ठ ]] | ||
[[Category:न]] | [[ नित्यवाहिनी | अगला पृष्ठ ]] | ||
</noinclude> | |||
[[Category: न]] | |||
[[Category: चरणानुयोग]] |
Latest revision as of 08:41, 17 August 2022
वर्ष में एक बार आता है। ज्येष्ठ कृ.1 से ज्येष्ठ पूर्णिमा तक कृ.1 को उपवास तथा 2-15 तक एकाशना करें। फिर शु.1 को उपवास और 2-15 तक एकाशना करें। जघन्य 1 वर्ष, मध्यम 12 वर्ष और उत्कृष्ट 24 वर्ष तक करना पड़ता है। ‘ॐ ह्रीं श्री वृषभजिनाय नम:’ इस मंत्र का त्रिकाल जाप्य करे। (व्रत विधान संग्रह/पृ.102)।