चैत्यपादप: Difference between revisions
From जैनकोष
m (Vikasnd moved page चैत्यपादप to चैत्यपादप without leaving a redirect: RemoveZWNJChar) |
(Imported from text file) |
||
(4 intermediate revisions by 2 users not shown) | |||
Line 1: | Line 1: | ||
<p> चैत्यवृक्ष । ये समवसरण के चारों वनों में (अशोक, सप्तपर्ण, | <div class="HindiText"> <p class="HindiText"> चैत्यवृक्ष । ये समवसरण के चारों वनों में (अशोक, सप्तपर्ण, चंपक और आम्र) होते हैं । ये बहुत ऊँचे, तीन छत्रों सहित, घंटा, अष्ट मंगल-द्रव्य और चारों दिशाओं में जिन-प्रतिमाओं से युक्त होते हैं । प्रकाशवान् इन वृक्षों में सुगंधित पुष्प होते हैं । इंद्र इनकी पूजा करता है । <span class="GRef"> महापुराण 6.24,22. 188-203 </span><span class="GRef"> वीरवर्द्धमान चरित्र 14.112-114 </span></p> | ||
</div> | |||
<noinclude> | <noinclude> | ||
[[ चैत्यगृह | पूर्व पृष्ठ ]] | [[ चैत्यगृह | पूर्व पृष्ठ ]] | ||
[[ | [[ चैत्यप्रासाद भूमि | अगला पृष्ठ ]] | ||
</noinclude> | </noinclude> | ||
[[Category: पुराण-कोष]] | [[Category: पुराण-कोष]] | ||
[[Category: च]] | [[Category: च]] | ||
[[Category: करणानुयोग]] |
Latest revision as of 14:41, 27 November 2023
चैत्यवृक्ष । ये समवसरण के चारों वनों में (अशोक, सप्तपर्ण, चंपक और आम्र) होते हैं । ये बहुत ऊँचे, तीन छत्रों सहित, घंटा, अष्ट मंगल-द्रव्य और चारों दिशाओं में जिन-प्रतिमाओं से युक्त होते हैं । प्रकाशवान् इन वृक्षों में सुगंधित पुष्प होते हैं । इंद्र इनकी पूजा करता है । महापुराण 6.24,22. 188-203 वीरवर्द्धमान चरित्र 14.112-114