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| <p> द्वादशाङ्ग श्रुत का आठवाँ भेद । <span class="GRef"> हरिवंशपुराण 2.92-95 </span>इसमें तेईस लाख अट्ठाईस हजार पदों में प्रत्येक तीर्थंकर के समय में दस प्रकार के असह्य उपसर्गों को जीतकर मुक्ति को प्राप्त करने वाले दस अन्तकृत् केवलियों का वर्णन किया गया है । <span class="GRef"> महापुराण 34.142, </span><span class="GRef"> हरिवंशपुराण 10. 38-39 </span>देखें [[ अंग ]]</p>
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| [[Category: पुराण-कोष]]
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