आत्महत्या: Difference between revisions
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<p><span class="GRef"> भावपाहुड़/ </span>मू./25 <span class="PrakritGatha">विसवेयणरत्तक्खय-भयसत्थग्गहणसंकिलिस्साणं। आहारुस्सासाणं णिरोहणा खिणए आऊ।12।</span> = <span class="HindiText">विष खा लेने से, वेदना से, रक्त का क्षय होने से, तीव्र भय से, शस्त्रघात से, संक्लेशकी अधिकता से, आहार और श्वासोच्छ्वास के रुक जाने से आयु क्षीण हो जाती है। (इस प्रकार से जो मरण होता है उसे कदलीघात कहते हैं) <span class="GRef">( धवला 1/1,1,1/ </span>गा.12/23); <span class="GRef">( गोम्मटसार कर्मकांड/57/55 )</span>।</span></p> | |||
<p class="HindiText">विशेष जानने हेतु देखें [[ मरण#4 | मरण - 4]]।</p> | |||
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इसे अकाल मृत्य या कदली घात मरण भी कहते हैं।
भावपाहुड़/ मू./25 विसवेयणरत्तक्खय-भयसत्थग्गहणसंकिलिस्साणं। आहारुस्सासाणं णिरोहणा खिणए आऊ।12। = विष खा लेने से, वेदना से, रक्त का क्षय होने से, तीव्र भय से, शस्त्रघात से, संक्लेशकी अधिकता से, आहार और श्वासोच्छ्वास के रुक जाने से आयु क्षीण हो जाती है। (इस प्रकार से जो मरण होता है उसे कदलीघात कहते हैं) ( धवला 1/1,1,1/ गा.12/23); ( गोम्मटसार कर्मकांड/57/55 )।
विशेष जानने हेतु देखें मरण - 4।