ओघालोचना: Difference between revisions
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<p class="HindiText">= आलोचना के दो ही प्रकार हैं - एक '''ओघालोचना''' दूसरी पदविभागी आलोचना अर्थात् सामान्य आलोचना और विशेष आलोचना ऐसे इनके और भी दो नाम हैं। वचन सामान्य और विशेष, इन धर्मों का आश्रय लेकर प्रवृत्त होता है, अतः आलोचना के उपर्युक्त दो भेद हैं।</p> | |||
<p class="HindiText">अधिक जानकारी के लिये देखें [[ आलोचना#1 | आलोचना - 1]]।</p> | |||
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Latest revision as of 09:09, 21 July 2023
भगवती आराधना / मूल या टीका गाथा 533
आलोयणाहु दुविहा आघेण य होदि पदविभागीय। आघेण मूलपत्तस्स पयविभागी य इदरस्स ॥533॥
= आलोचना के दो ही प्रकार हैं - एक ओघालोचना दूसरी पदविभागी आलोचना अर्थात् सामान्य आलोचना और विशेष आलोचना ऐसे इनके और भी दो नाम हैं। वचन सामान्य और विशेष, इन धर्मों का आश्रय लेकर प्रवृत्त होता है, अतः आलोचना के उपर्युक्त दो भेद हैं।
अधिक जानकारी के लिये देखें आलोचना - 1।