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| <p> चौथे मनु । इनकी आयु तुटिकाब्द प्रमाण थी । शारीरिक अवगाहना सात सौ पचहत्तर धनुष थी । दुष्ट जीवों से रक्षा करने के उपायों का उपदेश देकर प्रजा का कल्याण करने से ये इस नाम से प्रसिद्ध हुए । <span class="GRef"> महापुराण 3. 103-107, </span><span class="GRef"> पद्मपुराण 3.78, </span><span class="GRef"> हरिवंशपुराण 7.152-153, </span><span class="GRef"> पांडवपुराण 2. 103-106 </span></p>
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| | #REDIRECT [[क्षेमंधर]] |
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| [[Category: पुराण-कोष]]
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| [[Category: क्ष]]
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