चेटक: Difference between revisions
From जैनकोष
(Imported from text file) |
(Imported from text file) |
||
(7 intermediate revisions by 2 users not shown) | |||
Line 1: | Line 1: | ||
== सिद्धांतकोष से == | | ||
== सिद्धांतकोष से == | |||
<span class="GRef"> महापुराण/75/ श्लोक नं.</span><br> | |||
<div class="HindiText">पूर्व भव नं.2 में विद्याधर (119); पूर्वभव नं.1 में देव (131-135) वर्तमान भव में वैशाली नगरी का राजा चंदना का पिता (3-8,168)। | |||
</div> | |||
<noinclude> | <noinclude> | ||
[[ चूलिका | पूर्व पृष्ठ ]] | [[ चूलिका | पूर्व पृष्ठ ]] | ||
Line 12: | Line 14: | ||
== पुराणकोष से == | == पुराणकोष से == | ||
<p> वैशाली नगरी का राजा । इसकी रानी सुभद्रा थी । इनके दस पुत्र और सात पुत्रियाँ थी । पुत्रों के नाम धनदत्त, धनभद्र, | <div class="HindiText"> <p class="HindiText"> वैशाली नगरी का राजा । इसकी रानी सुभद्रा थी । इनके दस पुत्र और सात पुत्रियाँ थी । पुत्रों के नाम धनदत्त, धनभद्र, उपेंद्र, सुदत्त, सिंहभद्र, सुकुंभौज, अकंपन, पतंगक, प्रभंजन और प्रभास थे । पुत्रियों के नाम प्रियकारिणी, मृगावती, सुप्रभा, प्रभावती, चेलिनी, ज्येष्ठा और चंदना थे । इसने पुत्रियों के संबंध उस समय के प्रसिद्ध राजाओं से किये । <span class="GRef"> महापुराण 75.3-69 </span>दूसरे पूर्वभव में यह पलाशनगर में एक विद्याधर था । नागदत्त द्वारा मारे जाने पर पंच नमस्कार मंत्र की भावना भाता हुआ यह स्वर्ग में देव हुआ और वहाँ से च्युत होकर राजा चेटक हुआ । <span class="GRef"> महापुराण 75.108-132, </span><span class="GRef"> [[ग्रन्थ:हरिवंश पुराण_-_सर्ग_2#17|हरिवंशपुराण - 2.17]] </span></p> | ||
</div> | |||
<noinclude> | <noinclude> | ||
Line 23: | Line 25: | ||
[[Category: पुराण-कोष]] | [[Category: पुराण-कोष]] | ||
[[Category: च]] | [[Category: च]] | ||
[[Category: प्रथमानुयोग]] |
Latest revision as of 14:41, 27 November 2023
सिद्धांतकोष से
महापुराण/75/ श्लोक नं.
पूर्व भव नं.2 में विद्याधर (119); पूर्वभव नं.1 में देव (131-135) वर्तमान भव में वैशाली नगरी का राजा चंदना का पिता (3-8,168)।
पुराणकोष से
वैशाली नगरी का राजा । इसकी रानी सुभद्रा थी । इनके दस पुत्र और सात पुत्रियाँ थी । पुत्रों के नाम धनदत्त, धनभद्र, उपेंद्र, सुदत्त, सिंहभद्र, सुकुंभौज, अकंपन, पतंगक, प्रभंजन और प्रभास थे । पुत्रियों के नाम प्रियकारिणी, मृगावती, सुप्रभा, प्रभावती, चेलिनी, ज्येष्ठा और चंदना थे । इसने पुत्रियों के संबंध उस समय के प्रसिद्ध राजाओं से किये । महापुराण 75.3-69 दूसरे पूर्वभव में यह पलाशनगर में एक विद्याधर था । नागदत्त द्वारा मारे जाने पर पंच नमस्कार मंत्र की भावना भाता हुआ यह स्वर्ग में देव हुआ और वहाँ से च्युत होकर राजा चेटक हुआ । महापुराण 75.108-132, हरिवंशपुराण - 2.17