आर्त्तध्यान परिणाम: Difference between revisions
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<p class="HindiText"><b>आर्त्तध्यान का फल</b></p> | |||
<span class="GRef"> सर्वार्थसिद्धि अध्याय 9/29</span> <p class="HindiText">यह संसार का कारण है।</p> | |||
<span class="GRef">राजवार्तिक अध्याय 9/33/1/629 </span><p class="SanskritText">तिर्यग्भवगमनपर्यवसानम्।</p> | |||
<p class="HindiText">= इस आर्त्तध्यान का फल तिर्यंच गति है।</p> | |||
<p><span class="GRef">(हरिवंश पुराण सर्ग 56/18)</span>, <span class="GRef">( चारित्रसार पृष्ठ 169/4)</span></p> | |||
<span class="GRef">ज्ञानार्णव अधिकार 25/42</span> <p class="SanskritText">अनंतदुःखसकीर्णस्य तिर्यग्गतैः, फलं...॥42॥</p> | |||
<p class="HindiText">= आर्त्तध्यान का फल अनंत दुखों से व्याप्त तिर्यंच गति है।</p> | |||
<p class="HindiText">आर्त्तध्यान के लिए देखें [[ आर्त्तध्यान ]]।</p> | |||
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Latest revision as of 22:16, 17 November 2023
आर्त्तध्यान का फल
सर्वार्थसिद्धि अध्याय 9/29
यह संसार का कारण है।
राजवार्तिक अध्याय 9/33/1/629
तिर्यग्भवगमनपर्यवसानम्।
= इस आर्त्तध्यान का फल तिर्यंच गति है।
(हरिवंश पुराण सर्ग 56/18), ( चारित्रसार पृष्ठ 169/4)
ज्ञानार्णव अधिकार 25/42
अनंतदुःखसकीर्णस्य तिर्यग्गतैः, फलं...॥42॥
= आर्त्तध्यान का फल अनंत दुखों से व्याप्त तिर्यंच गति है।
आर्त्तध्यान के लिए देखें आर्त्तध्यान ।