नागसेन: Difference between revisions
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<li> ध्यान विषयक | <li> ध्यान विषयक ग्रंथ तत्त्वानुशासन के कर्ता रामसेन के गुरु और वीरचंद के विद्या शिष्य। समय–ई.1047। (ती./3/236) कोई कोई इन्हें ही तत्त्वानुशासन के रचयिता मानते हैं। <span class="GRef">( तत्त्वानुशासन/ </span>प्र./2 ब्र.लाल) </li> | ||
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<p> | <div class="HindiText"> <p class="HindiText"> अंतिम श्रुतकेवली भद्रबाहु के पश्चात् एक सौ तैरासी वर्ष की अवधि में हुए ग्यारह अंग और दस पूर्व के धारी ग्यारह आचार्यों में पांचवें आचार्य । <span class="GRef"> महापुराण 2.141-145, 76.521-524 </span></p> | ||
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Latest revision as of 15:11, 27 November 2023
सिद्धांतकोष से
- श्रुतावतार के अनुसार आप भद्रबाहु प्रथम के पश्चात् पाँचवें 11 अंग व 10 पूर्वधारी हुए। समय–वी.नि.229-247 दृष्टि नं.3 की अपेक्षा वी.नि.289-300। (देखें इतिहास - 4.4)।
- ध्यान विषयक ग्रंथ तत्त्वानुशासन के कर्ता रामसेन के गुरु और वीरचंद के विद्या शिष्य। समय–ई.1047। (ती./3/236) कोई कोई इन्हें ही तत्त्वानुशासन के रचयिता मानते हैं। ( तत्त्वानुशासन/ प्र./2 ब्र.लाल)
पुराणकोष से
अंतिम श्रुतकेवली भद्रबाहु के पश्चात् एक सौ तैरासी वर्ष की अवधि में हुए ग्यारह अंग और दस पूर्व के धारी ग्यारह आचार्यों में पांचवें आचार्य । महापुराण 2.141-145, 76.521-524