पुण्ययज्ञक्रिया: Difference between revisions
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Latest revision as of 15:15, 27 November 2023
एक दीक्षान्वय क्रिया । इससे पुण्य को बढ़ाने वाली चौदह पूर्व विद्याओं का अर्थ-श्रवण होता है । महापुराण 38.64,39.50