पोत: Difference between revisions
From जैनकोष
(Imported from text file) |
(Imported from text file) |
||
(7 intermediate revisions by 3 users not shown) | |||
Line 1: | Line 1: | ||
<p> | <p><span class="GRef"> सर्वार्थसिद्धि/2/33/190/1 </span><span class="SanskritText">किंचित्परिवरणमंतरेण परिपूर्णावयवो योनि-निर्गतमात्र एव परिस्पंदादिसामर्थ्योपेतः पोतः। </span>= <span class="HindiText">जिसके सब अवयव बिना आवरण के पूरे हुए हैं और जो योनि से निकलते ही हलन-चलन आदि सामर्थ्य से युक्त हैं, उसे पोत कहते हैं। <span class="GRef">( राजवार्तिक/2/33/3/144/1 )</span>; <span class="GRef">( गोम्मटसार जीवकांड / जीवतत्त्व प्रदीपिका/84/207/5 )</span>। <br /> | ||
</span></p> | </span></p> | ||
<ul> | <ul> | ||
<li | <li class="HindiText"><strong> पोतज जन्म विषयक </strong>- देखें [[ जन्म#2 | जन्म - 2]]। </span></li> | ||
</ul> | </ul> | ||
Line 12: | Line 12: | ||
</noinclude> | </noinclude> | ||
[[Category: प]] | [[Category: प]] | ||
[[Category: करणानुयोग]] |
Latest revision as of 15:15, 27 November 2023
सर्वार्थसिद्धि/2/33/190/1 किंचित्परिवरणमंतरेण परिपूर्णावयवो योनि-निर्गतमात्र एव परिस्पंदादिसामर्थ्योपेतः पोतः। = जिसके सब अवयव बिना आवरण के पूरे हुए हैं और जो योनि से निकलते ही हलन-चलन आदि सामर्थ्य से युक्त हैं, उसे पोत कहते हैं। ( राजवार्तिक/2/33/3/144/1 ); ( गोम्मटसार जीवकांड / जीवतत्त्व प्रदीपिका/84/207/5 )।
- पोतज जन्म विषयक - देखें जन्म - 2।